भगवान नेत्र का विषय हो सकते हैं

हमारे पास देखनेके लिये जो नेत्र हैं, वे जड़ संसारका अंग होनेसे संसारको ही देखते हैं, संसारसे अतीत चिन्मय भगवान्‌को नहीं देख सकते । हाँ, अगर भगवान्‌ चाहें तो वे हमारे नेत्रोंका विषय हो सकते हैं अर्थात् हमें दर्शन दे सकते हैं; क्योंकि वे सर्वसमर्थ हैं ।

हम भगवान का नाम जप भजनो का गायन करे भगवान के दर्शन की प्यास दिल मे जगाते तभी इन नैनो में भगवान समा जाते हैं। भक्त भगवान को अपना बना लेता है भगवान मेरे है। तब भक्त की हर किरया में भगवान होते हैं जैसे हम घर के सदस्यों को अपने भाव में रखते हैं उनकी सुविधा और सुरक्षा हमारे अन्दर बैठ जाती है।

हम कोई कार्य करते हैं। तब हर कार्य में परिवार होता है इसी तरह भक्त भगवान को अपने अन्तर्मन मे बिठा लेता है। वह अपने भाव को परिवार में प्रकट नहीं करता है बस भगवान का चिन्तन मन ही मन करता है। भक्त भगवान के भाव मे लीन होता है तब भगवान भक्त के नैनो में समा जाते हैं। नैनो में जब भगवान समा जाते हैं।भक्त के नैन उठते नहीं है। तब ये नैन जगत से रिझते नही है भक्त के नैनो में भाव भर जाते हैं।

भक्त अपने स्वामी भगवान नाथ को नैनों में बिठाकर सम भाव हो जाता है। सबमें परमात्मा का वास है आनंदित होता है।जय श्री राम अनीता गर्ग

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on pinterest
Share on reddit
Share on vk
Share on tumblr
Share on mix
Share on pocket
Share on telegram
Share on whatsapp
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *