👇कपिलमुनि का परिचय
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कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक थे,जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है। इनकी माता का नाम देवहुती व पिता का नाम कर्दम था। कपिल मुनि की माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र की कामना की थी। अतः भगवान विष्णु ने स्वयं उनके गर्भ से जन्म लिया था। कर्दम जब सन्न्यास लेकर वन जाने लगे तो देवहूती ने कहा, “स्वामी मेरा क्या होगा?” इस पर ऋषि कर्दम ने कहा कि “तेरा पुत्र ही तुझे ज्ञान देगा।” समय आने पर कपिल ने माता को जो ज्ञान दिया, वही👉 ‘सांख्य दर्शन’ कहलाया।
कपिल प्राचीन भारत के एक प्रभावशाली मुनि थे। उन्हे प्राचीन ऋषि कहा गया है।जिसके मान्य अर्थों के अनुसार विश्व का उद्भव विकासवादी प्रक्रिया से हुआ है। कई लोग इन्हें अनीश्वरवादी मानते हैं लेकिन गीता में इन्हें श्रेष्ठ मुनि कहा गया है।इनका लिखा योग आध्यात्म हमें मोक्ष प्रदान करता है।
👉आध्यात्म भी योग है…!
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बहुत ध्यान से पढ़ें-
योग आध्यात्मिक पुंसां मतो निःश्रेयसाय मे ।
अत्यन्तोपरतिर्यत्र दुःखस्य च सुखस्य च ।।
कपिल भगवान कहते हैँ पुरुषो को मोक्ष के लिए आध्यात्म योग ही है । जिसके द्वारा दुःख सुख से पूर्ण विश्राम मिलता है । यथार्थ मेँ बन्धन या मोक्ष प्राणी के अपने मन पर निर्भर करता है ।
गुणो (सत , रज , तम )में आसक्ति ही बन्धन और ईश्वर मेँ आसक्ति ही मोक्ष है । जब मन,काम ,लोभ आदि के मल से रहित होकर पवित्र बन जाता है ,तब उसके लिए सुख दुःख समान हो जाते हैँ ।
अतः योगियो के लिए भगवान मेँ मन लगाने से अधिक कल्याणकारी मार्ग अन्य नहीँ है । सहन शक्ति ,दया, सुहृदयता,उदासीनता,और शान्ति,परोपकारी साधुओ के लिए आभूषण है ।
मुझमे अनन्य भक्ति वाले मनुष्य मेरे लिए सब कर्मोँ और बन्धु बान्धवो को भी त्याग देते हैँ ।मेरी उज्ज्वल कथाओँ के वर्णन और श्रवण द्वारा मुझमे मन लगाये रहते है, वे पापोँ से कभी दग्ध नहीँ होते। भक्ति से वैराग्य उत्पन्न होता है। तब सब कुछ मुझ मे ही समर्पित करने वाला पुरुष मुझ सर्वान्तर्यामी को ही प्राप्त होता है । || कपिल मुनि की जय हो ||