जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी

राम जन्मभूमि केस में जिनकी गवाही के बाद बंद हो गए थे 20 करोड़ Muसलमा’नों के मुंह। अगर आप हिंदू हैं तो आपको जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के बारे में जरूर जानना चाहिए।

एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए। एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन वो 22 भाषाओं में बोल सकते हैं इसके अलावा 100 से ज्यादा पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं। एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मु स्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ?

ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया लेकिन तब संकट मोचन बने श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (हाईकोर्ट का नाम अब भी वही है) में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।

रामजन्म मंदिर महिं मंदिरहि तोरि मसीत बनाय ।
जबहि बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्ही हाय ।।
दल्यो मीर बाकी अवध, मंदिर राम समाज ।
तुलसी रोवत हृदय अति, त्राहि त्राहि रघुराज ।।

चहुं ओर जय जय कार हो गई, रामभद्राचार्य जी महाराज की

उनके प्रोफाइल पर गौर कीजिए आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, कवि, विद्वान, दार्शनिक, गीतकार, गायक, साहित्यकार और कथाकार। 24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी। उनका बचपन का नाम था गिरिधर। प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 फरवरी 1989 में सभी संत समाज द्वारा स्वामी गिरिधर को श्री रामभद्राचार्य की उपाधि दे दी गई।

श्री रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य हैंडिकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलपति भी हैं विश्व हिंदू परिषद के रूप में भी वो हिंदुओं को प्रेरणा दे रहे हैं।
प्रणाम है ऐसे महान संत को…

जय श्रीराम, जय हरि गोविंदा



After whose testimony in the Ram Janmabhoomi case, the mouths of 20 crore Muslims were closed. If you are a Hindu then you must know about Jagadguru Shri Rambhadracharya Ji.

A boy who wrote his first poem at the age of 3. A child who at the age of 5 memorized the complete 700 verses of Shrimad Bhagwat Geeta with chapter and verse numbers. A child who memorized 10 thousand 900 verses and verses of Shri Ramcharitmanas in just 60 days at the age of 7 years. The same child Giridhar is today known by the name of Jagadguru Shri Rambhadracharya ji in the whole world. He was born in Chitrakoot on 14 January 1950, on the day of Makar Sankranti. He became blind at the age of 2 months but he can speak in 22 languages, apart from this he has written more than 100 books and more than 50 research papers. A blind child became such a great scholar that when in the Ramjanmabhoomi case, the Muslim side raised the question that if Babar demolished the Ram temple, why did Tulsi Das not mention it?

This question was so heavy that a crisis arose for the Hindu side, but then Shrirambhadracharya became the savior, who testified in the Allahabad High Court (the name of the High Court is still the same) and recited the couplet written in Tulsi Das’s Dohashatak, in which Babur There is a reference to the demolition of the Ram temple by Mir Baki, the commander of the

Ramjanm mandir mahin mandirhi tori masit banay. Jabhi bahu Hindun hate, Tulsi keenhi hay. Dalyo Mir Baki Awadh, Mandir Ram Samaj. Tulsi cries heart very, save save Raghuraja.

Rambhadracharya Ji Maharaj was hailed everywhere.

Check out his profile Spiritual leader, teacher, scholar of Sanskrit, poet, scholar, philosopher, lyricist, singer, litterateur and storyteller. On June 24, 1988, Kashi Vidvat Parishad gave him the title of Jagadguru Rambhadracharya. His childhood name was Giridhar. Swami Giridhar was given the title of Shri Rambhadracharya by all the Sant Samaj on February 3, 1989 at the Kumbh Mela in Prayagraj.

Shri Rambhadracharya is the founder of Tulsi Peeth and also the lifetime Vice-Chancellor of Jagadguru Rambhadracharya Handicapped University, he is also inspiring Hindus in the form of Vishwa Hindu Parishad. Salute to such a great saint…

Jai Shri Ram, Jai Hari Govinda

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