धर्म की मर्यादा का पालन करते हुए भक्ति

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|| श्री हरि: ||
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श्रीमदभागवत की कथा में श्रीकृष्ण भगवान् की विविध लीलाओं का वर्णन सुनते ही श्रोताओं को अपार आनन्द होता है | गोपियों ने तो श्रीकृष्ण के प्रत्यक्ष दर्शन किये थे | उनकी बंसी सुनी थी | उनका आनन्द कैसा होगा ! लाला बाँसुरी में ऐसे मधुर स्वर निकालता है कि जिसे सुनने के बाद गोपियों को और कुछ सुनने की इच्छा नहीं रहती |
जो धर्म की प्रत्येक मर्यादा का पालन कर भक्ति करती है उसी की सेवा को भगवान् स्वीकार करते हैं | धर्म-विरुद्ध भक्ति भगवान् श्रीकृष्ण को पसन्द नहीं है | अपना धर्म छोड़कर भक्ति करने वाले की भक्ति सफल नहीं होती | कई स्त्री-पुरुष सुबह-शाम मन्दिर की सीढ़ियाँ घिसने जाते हैं पर घर में माता-पिता की सेवा नहीं करते | ऐसे लोगों का मुँह प्रभु नहीं देखते | घर में पतिदेव बीमार हों और पत्नी को मंदिर जाने से रोके फिर भी पत्नी मन्दिर जाय तो भगवान् उसका मुख नहीं देखते | भगवान् सोचते हैं, ये लोग मूर्ख हैं | घर में माता-पिता की सेवा तो करते नहीं हैं और मुझे फूलों की माला अर्पण करते हैं | ऐसे लोगों के हाथों से मुझे फूलों की माला नहीं लेनी है |
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पूज्य श्री डोंगरे जी महाराज द्वारा प्रकाशित पुस्तक श्री गोपी गीत से |
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