राम से बड़ा राम का नाम: राम नाम का इन दो अक्षर में ही पूरी रामायण है और पूरा शास्त्र है। पुराणों में लिखा है कि ज्ञान, कर्म, ध्यान, योग, तप आदि सभी कलयुग में व्यर्थ सिद्ध होंगे परंतु राम नाम का जप ही लोगों को भवसागर से पार ले जाने वाला सिद्ध होगा। वेद, पुराण और अन्य शास्त्रों से भी बढ़कर है दो अक्षरों वाला राम का नाम। राम नाम के दो सुंदर अक्षर सावन-भादो के महीने हैं। इस नाम की ही महिमा है कि जिसे सभी देवी और देवता जपते रहते हैं।
यही नहीं जिस नाम की महिमा का वर्णन शिवजी से सुनकर माता पार्वती भी उनका नाम जप करती हैं। जिनके सेवार्थ श्री शिवजी ने हनुमानजी का अवतार लेकर वे राम का नाम ही जपते रहते हैं। ऐसे प्रभु श्री राम का नाम लिखना, बोलना भवसागर से पार तो लगाता ही है साथ ही यह भक्तों को समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करता है।
*•रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा का कई जगहों पर वर्णन किया है-*
रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।
राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे हृदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं, मन को परम शांति मिलती है।
राम नाम की महिमा का प्रसंग
यह तो सभी जानते हैं कि रामसेतु के निर्माण के समय हर पत्थर पर राम नाम लिखा जा रहा था और हर कोई राम नाम का जयघोष कर रहा था जिसके चलते राम का काम बहुत ही आसान हो गया। राम के नाम लिखे पत्थर जब तेरने लगे तो प्रभु श्रीराम भी आश्चर्य में पड़कर सोचने लगे।
उन्होंने सोचा की जब मेरे नाम लिखे पत्थर तैरने लगे है तो यदि मैं कोई पत्थर फेंकता हूं समुद्र में तो उसे तेरना चाहिए। मन में यही विचार करके उन्होंने भी एक पत्थर उठा लिया जिस पर राम का नाम नहीं लिथा था और उसे समुद्र में फेंक दिया, लेकिन वह पत्थर डूब गया। भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
दूर खड़े हनुमान ने यह सब देख रहे थे और तब उन्होंने प्रभु श्रीराम के मान की बात जानकर उनके पास पहुंचे और कहने लगे कि हे प्रभु! आप किस दुविधा में हैं?
इस पर श्री राम जी कहने लगे कि हे हनुमान! मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं लेकिन जब मैंने अपने हाथ से वह पत्थर फेंका तो वह डूब गया।
प्रभु की इस भोलेपन से कही गई बात पर बल बुद्धि के दाता हनुमानजी ने कहा कि हे प्रभु! आपके नाम को धारण कर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं, परंतु जिसे आपन स्वयं त्याग रहे हैं, उसे डूबने से कोई कैसे बचा सकता है?
राम के नाम में इतनी शक्ति है कि उनके नाम का जप करते हुए ऋषि बाल्मीकि और संत तुलसीदास अज्ञानी से महान ज्ञानी बने। उसके बाद उन्होंने रामायण और रामचरितमानस ग्रंथों की रचना की। शबरी ने भगवान का नाम लेकर उनको इतना मजबूर कर दिया कि वनवास के दौरान उसको स्वयं मिलने के लिए कुटिया पंहुचे। राम का ही नाम सत्य है।
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥
भावार्थ:- जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस राम नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥2॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥
आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम मरा ‘मरा जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति (श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं॥3॥- रामचरित मानस बालकाण्डहोइहै वही जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावही साखा।।
‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं। प्रभु श्रीराम के द्रोहियों को शायद ही यह मालूम है कि वे अपने आसपास नर्क का निर्माण कर रहे हैं। इसीलिए यह चिंता छोड़ दो कि कौन प्रभु श्रीराम का अपमान करता है और कौन सुनता है। कौन जपता है और कौन नहीं जपता है।1. राम से भी बड़ा राम का नाम:- कहते हैं कि प्रभु श्रीरा राम का नाम राम से भी बड़ा है। राम राम जपने से कई लोगों को मोक्ष प्राप्त हो गया। राम एक महामंत्र है, जिसे हनुमान ही नहीं भगवान शिव भी जपते हैं। राम से पहले भी राम का नाम था। प्राचीन काल में राम ईश्वर के लिए संबोधित होता था।
2 राम या मार:- राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। मार बौद्ध धर्म का शब्द है। मार का अर्थ है- इंद्रियों के सुख में ही रत रहने वाला और दूसरा आंधी या तूफान। राम को छोड़कर जो व्यक्ति अन्य विषयों में मन को रमाता है, मार उसे वैसे ही गिरा देती है, जैसे सूखे वृक्षों को आंधियां।
3 राम नाम कहने का अभिप्राय
- एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा। आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- ‘हे राम।’
- दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
- तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे ‘ये क्या हुआ राम राम राम।’
- चार बार राम कहा तो भजन हुआ।
4. तारणहार राम का नाम:- राम का नाम जपने वाले कई संत और कवि हुए हैं। जैसे कबीरदास, तुलसीदास, रामानंद, नाभादास, स्वामी अग्रदास, प्राणचंद चौहान, केशवदास, रैदास या रविदास, दादूदयाल, सुंदरदास, मलूकदास, समर्थ रामदास आदि। श्रीराम-श्रीराम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए हैं।
5. जीवन रक्षक नाम:- प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्क ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि ‘राम’ शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम राम कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का निर्माण होता है। उसी तरह चित्त में भी विशेष लय आने लगती है। जब व्यक्ति लगातार राम’ जप करता रहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का एक मंडल बनना तय समझो। प्रभु श्रीराम के नाम का असर जबरदस्त होता है।
।।चौपाई।।हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते..!!
जय सियाराम
यही नहीं जिस नाम की महिमा का वर्णन शिवजी से सुनकर माता पार्वती भी उनका नाम जप करती हैं। जिनके सेवार्थ श्री शिवजी ने हनुमानजी का अवतार लेकर वे राम का नाम ही जपते रहते हैं। ऐसे प्रभु श्री राम का नाम लिखना, बोलना भवसागर से पार तो लगाता ही है साथ ही यह भक्तों को समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करता है।
रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा का कई जगहों पर वर्णन किया है
रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।”
अर्थात:- राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे हृदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं, मन को परम शांति मिलती है।
राम नाम की महिमा का प्रसंग
यह तो सभी जानते हैं कि रामसेतु के निर्माण के समय हर पत्थर पर राम नाम लिखा जा रहा था और हर कोई राम नाम का जयघोष कर रहा था जिसके चलते राम का काम बहुत ही आसान हो गया। राम के नाम लिखे पत्थर जब तेरने लगे तो प्रभु श्रीराम भी आश्चर्य में पड़कर सोचने लगे।
उन्होंने सोचा की जब मेरे नाम लिखे पत्थर तैरने लगे है तो यदि मैं कोई पत्थर फेंकता हूं समुद्र में तो उसे तेरना चाहिए। मन में यही विचार करके उन्होंने भी एक पत्थर उठा लिया जिस पर राम का नाम नहीं लिथा था और उसे समुद्र में फेंक दिया, लेकिन वह पत्थर डूब गया। भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
दूर खड़े हनुमान ने यह सब देख रहे थे और तब उन्होंने प्रभु श्रीराम के मान की बात जानकर उनके पास पहुंचे और कहने लगे कि हे प्रभु! आप किस दुविधा में हैं?
इस पर श्री राम जी कहने लगे कि हे हनुमान! मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं लेकिन जब मैंने अपने हाथ से वह पत्थर फेंका तो वह डूब गया।
प्रभु की इस भोलेपन से कही गई बात पर बल बुद्धि के दाता हनुमानजी ने कहा कि हे प्रभु! आपके नाम को धारण कर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं, परंतु जिसे आपन स्वयं त्याग रहे हैं, उसे डूबने से कोई कैसे बचा सकता है?
राम के नाम में इतनी शक्ति है कि उनके नाम का जप करते हुए ऋषि बाल्मीकि और संत तुलसीदास अज्ञानी से महान ज्ञानी बने। उसके बाद उन्होंने रामायण और रामचरितमानस ग्रंथों की रचना की। शबरी ने भगवान का नाम लेकर उनको इतना मजबूर कर दिया कि वनवास के दौरान उसको स्वयं मिलने के लिए कुटिया पंहुचे। राम का ही नाम सत्य है।
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥
भावार्थ:- जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस ‘राम’ नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥2॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
जान
आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥
भावार्थ:- आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम (‘मरा’, ‘मरा’) जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति (श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं॥3॥- रामचरित मानस बालकाण्डहोइहै वही जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावही साखा।।
‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं। प्रभु श्रीराम के द्रोहियों को शायद ही यह मालूम है कि वे अपने आसपास नर्क का निर्माण कर रहे हैं। इसीलिए यह चिंता छोड़ दो कि कौन प्रभु श्रीराम का अपमान करता है और कौन सुनता है। कौन जपता है और कौन नहीं जपता है।1. राम से भी बड़ा राम का नाम:- कहते हैं कि प्रभु श्रीरा राम का नाम राम से भी बड़ा है। राम राम जपने से कई लोगों को मोक्ष प्राप्त हो गया। राम एक महामंत्र है, जिसे हनुमान ही नहीं भगवान शिव भी जपते हैं। राम से पहले भी राम का नाम था। प्राचीन काल में राम ईश्वर के लिए संबोधित होता था।
2. राम या मार:- राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। मार बौद्ध धर्म का शब्द है। मार का अर्थ है- इंद्रियों के सुख में ही रत रहने वाला और दूसरा आंधी या तूफान। राम को छोड़कर जो व्यक्ति अन्य विषयों में मन को रमाता है, मार उसे वैसे ही गिरा देती है, जैसे सूखे वृक्षों को आंधियां।
3राम नाम कहने का अर्थ:-
1एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा। आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- ‘हे राम।’
2 दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
- तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे ‘ये क्या हुआ राम राम राम।
- ‘3चार बार राम कहा तो भजन हुआ।
4 तारणहार राम का नाम:- राम का नाम जपने वाले कई संत और कवि हुए हैं। जैसे कबीरदास, तुलसीदास, रामानंद, नाभादास, स्वामी अग्रदास, प्राणचंद चौहान, केशवदास, रैदास या रविदास, दादूदयाल, सुंदरदास, मलूकदास, समर्थ रामदास आदि। श्रीराम-श्रीराम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए हैं।
5 जीवन रक्षक नाम:- प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्क ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि ‘राम’ शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम ‘राम’ कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का निर्माण होता है। उसी तरह चित्त में भी विशेष लय आने लगती है। जब व्यक्ति लगातार राम जप करता रहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का एक मंडल बनना तय समझो। प्रभु श्रीराम के नाम का असर जबरदस्त होता है।
।।चौपाई।।हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
भावार्थ-
हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते..!!जय सियाराम
Name of Rama than Rama: Ramayana is the entire Ramayana in these two letters named Rama and the entire scripture. It is written in the Puranas that all knowledge, karma, meditation, yoga, austerity etc. will prove to be meaningless in Kali Yuga, but only chanting the name Ram will prove to be to take people to cross from Bhavsagar. The name of Rama with two letters is more than the Vedas, Puranas and other scriptures. The two beautiful letters named Ram are the months of Sawan-Bhado. The glory of this name is that all the gods and deities keep chanting.
Not only this, Mother Parvati also chants her name after hearing the description of the glory of the name from Shivji. Whose service Shri Shivji keeps chanting Rama’s name by taking the avatar of Hanumanji. Writing, speaking the name of such Lord Shri Rama not only crosses Bhavsagar, but it also provides freedom from all types of physical, divine and physical temperatures to the devotees.
*• Tulsidasji in Ramcharit Manas has described the glory of Rama in many places-*
The medicine of Ramnam is eaten with a good fixed, The mahog does not disappear.
The chanting of Rama is like a medicine, which if you are chanted with a true heart, then all etc. are removed, the mind gets ultimate peace.
The episode of the glory of the name of Ram Everyone knows that at the time of the construction of Ram Sethu, the name Ram was being written on every stone and everyone was chanting Ram’s name, due to which Rama’s work became very easy. When the stones were written in the name of Rama, Lord Shri Ram also started thinking in surprise.
He thought that when the stones written in my name have started swimming, then if I throw a stone in the sea, then it should be threatened. Thinking the same in the mind, he also lifted a stone on which Rama’s name was not entered and threw it into the sea, but the stone drowned. Lord Shri Ram was surprised as to why this happened?
Hanuman standing away was watching all this and then he came to him knowing the value of Lord Shri Ram and came to him and started saying, Lord! आप किस दुविधा में हैं?
On this, Shri Ram ji started saying that O Hanuman! The stones of my name are swimming but when I threw that stone from my hand, he drowned.
Hanumanji, the donor of the intellect, said, “Lord!” By wearing your name, everyone can cross their life, but how can anyone save him from drowning?
Rama’s name has so much power that while chanting his name, Rishi Balmiki and Saint Tulsidas became great knowledgeable from ignorant. He then composed the Ramayana and Ramcharitmanas texts. Shabari made him so much forced by taking the name of God that during exile, he reached the hut to meet himself. Rama’s name is true.
Mahamantra Joi Japat Mahesu. Kasin Mukti for Mukti Mahima Jasu Jaan Ganrau. First Poojiyat Naam Prabhau ॥2॥
भावार्थ:- जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस राम नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥2॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥
आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम मरा ‘मरा जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति (श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं॥3॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
होइहै वही जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावही साखा।।
‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं। प्रभु श्रीराम के द्रोहियों को शायद ही यह मालूम है कि वे अपने आसपास नर्क का निर्माण कर रहे हैं। इसीलिए यह चिंता छोड़ दो कि कौन प्रभु श्रीराम का अपमान करता है और कौन सुनता है। कौन जपता है और कौन नहीं जपता है।
1. राम से भी बड़ा राम का नाम:- कहते हैं कि प्रभु श्रीरा राम का नाम राम से भी बड़ा है। राम राम जपने से कई लोगों को मोक्ष प्राप्त हो गया। राम एक महामंत्र है, जिसे हनुमान ही नहीं भगवान शिव भी जपते हैं। राम से पहले भी राम का नाम था। प्राचीन काल में राम ईश्वर के लिए संबोधित होता था।
2 राम या मार:- राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। मार बौद्ध धर्म का शब्द है। मार का अर्थ है- इंद्रियों के सुख में ही रत रहने वाला और दूसरा आंधी या तूफान। राम को छोड़कर जो व्यक्ति अन्य विषयों में मन को रमाता है, मार उसे वैसे ही गिरा देती है, जैसे सूखे वृक्षों को आंधियां।
3 राम नाम कहने का अभिप्राय
एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा। आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- ‘हे राम।’
दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे ‘ये क्या हुआ राम राम राम।’
चार बार राम कहा तो भजन हुआ।
4. तारणहार राम का नाम:- राम का नाम जपने वाले कई संत और कवि हुए हैं। जैसे कबीरदास, तुलसीदास, रामानंद, नाभादास, स्वामी अग्रदास, प्राणचंद चौहान, केशवदास, रैदास या रविदास, दादूदयाल, सुंदरदास, मलूकदास, समर्थ रामदास आदि। श्रीराम-श्रीराम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए हैं।
5. जीवन रक्षक नाम:- प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्क ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि ‘राम’ शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम राम कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का निर्माण होता है। उसी तरह चित्त में भी विशेष लय आने लगती है। जब व्यक्ति लगातार राम’ जप करता रहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का एक मंडल बनना तय समझो। प्रभु श्रीराम के नाम का असर जबरदस्त होता है।
।।चौपाई।।
हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते..!!
जय सियाराम
Not only this, Mother Parvati also chants her name after hearing the description of the glory of the name from Shivji. Whose service Shri Shivji keeps chanting Rama’s name by taking the avatar of Hanumanji. Writing, speaking the name of such Lord Shri Rama not only crosses Bhavsagar, but it also provides freedom from all types of physical, divine and physical temperatures to the devotees.
In Ramcharit Manas, Tulsidasji has described the glory of Rama in many places in many places.
The medicine of Ramnam is eaten with a good fixed, The gramage should not be erased. ‘
That is, the chanting of the name of Rama is like a medicine, which if you are chanted with a true heart, then all the etc. are removed, the mind gets the ultimate peace.
The episode of the glory of the name of Ram Everyone knows that at the time of the construction of Ram Sethu, the name Ram was being written on every stone and everyone was chanting Ram’s name, due to which Rama’s work became very easy. When the stones were written in the name of Rama, Lord Shri Ram also started thinking in surprise.
He thought that when the stones written in my name have started swimming, then if I throw a stone in the sea, then it should be threatened. Thinking the same in the mind, he also lifted a stone on which Rama’s name was not entered and threw it into the sea, but the stone drowned. Lord Shri Ram was surprised as to why this happened?
Hanuman standing away was watching all this and then he came to him knowing the value of Lord Shri Ram and came to him and started saying, Lord! What dilemma are you in?
On this, Shri Ram ji started saying that O Hanuman! The stones of my name are swimming but when I threw that stone from my hand, he drowned.
Hanumanji, the donor of the intellect, said, “Lord!” By wearing your name, everyone can cross their life, but how can anyone save him from drowning?
Rama’s name has so much power that while chanting his name, Rishi Balmiki and Saint Tulsidas became great knowledgeable from ignorant. He then composed the Ramayana and Ramcharitmanas texts. Shabari made him so much forced by taking the name of God that during exile, he reached the hut to meet himself. Rama’s name is true.
Mahanantra Joi Japat Mahesu. Kasin Mukti for Mukti Mahima Jasu Jaan Ganrau. First Poojiyat Naam Prabhau ॥2॥
Meaning:- The Mahamantra, which is the Mahamantra, which is chanting Maheshwar Shri Shivji and whose teaching is the reason for liberation in Kashi and whose glory is known to Ganesha, who is worshiped first with the influence of this ‘Ram’. 2- Ramcharit Manas Balkand Life
Adikbi Naam Pratapu. Fearless
Sahas Naam Sama Suni Siva Bani. Japi je piye sang bhawani ॥3॥
Meaning:- Adikavi Knows the Pratap of Shri Valmikiji Ramnam, who became pure by chanting the reverse name (‘Mara’, ‘Mara’). Hearing the promise of Shri Shivji that a Ram-Naam is like a Sahasra name, Parvatiji always keeps chanting Ram-Naam with her husband (Shri Shivji).-Ramcharit Manas Balakand
He is the one who is Rama Rakhi Rakha.
Kari Kari Grand Bhanki Sakha.
‘Ram’ is not just a name nor just one human. Rama is the ultimate power. Prabhu Shri Ram’s miscreants hardly know that they are creating hell around them. That is why leave the worry that who insults Lord Shri Ram and who listens. Who chants and who does not chant.
41. Ram’s name bigger than Rama:- It is said that the name of Lord Shri Rama is bigger than Rama. Many people attained salvation by chanting Ram Ram. Rama is a Mahamantra, which not only Lord Hanuman, Lord Shiva also chants. Rama’s name was also before Rama. Rama used to address God in ancient times.
2. Rama or Mara:- Ram’s reverse is the reverse, A, R means Mara. Mara is a word of Buddhism. Mara means- the person who is in the happiness of the senses and the second storm or storm. Except Rama, the person who raises the mind in other subjects, kills him in the same way as thunderstorms to dried trees.
3 means to say Ram name:-
1 Once Ram said, the address took place. In Rajasthan, it says Rama. The only name to defeat all your sorrows is ‘Hey Ram.’
Greetings took place 2 times twice. Ram Ram says in rural areas of North India.
Three times Ram said, there was condolences. Like ‘what happened Ram Ram Ram.
‘3 or four times Ram said, there was a hymn.
44 Taranhar Ram’s name:- There are many saints and poets who chant Rama’s name. Such as Kabirdas, Tulsidas, Ramanand, Nabhadas, Swami Agradas, Pranchand Chauhan, Keshavdas, Raidas or Ravidas, Dadudayal, Sundardas, Malukdas, Samarth Ramdas etc. Chanting Shri Ram-Shriram, innumerable saints and saints have attained liberation.
5 Jeevan Rakshak Name:- The pronunciation of Prabhu Shri Ram brings a clear energy in life. Those who are familiar with sound science know that the glory of the word ‘Ram’ is incomparable. When we say ‘Ram’, a special shape is formed on the wind or sand. In the same way, special rhythm also starts coming in the mind. When a person continues to chant Ram, Lord Shri Ram settles in Rome. Consider it to be a circle of security around him. The impact of the name of Lord Shri Ram is tremendous.
.. Chaupai.
Hari Anant Hari Katha Ananta. Kahin Sunhin Bahubidhi Sab Santa
Ramachandra’s Charit Suha. Kalp koti lagi jahin sang
Meaning
Hari is infinite (nobody can cross) and his story is also infinite. All saints say it in many ways. The beautiful character of Ramchandra cannot be sung even in crores of cycles .. !!