राम सीता वन के भाव

FB IMG

बनवास में रहते हुए दस वर्ष हो चुके थे , इतने वर्ष घर से दूर रहने के कारण तीनों के मन में थोड़ी उदासी छाने लगी थी , परन्तु इसकी चर्चा कोई नहीं कर रहा था।

एक दिन सीता ने राम से कहा , “ लक्ष्मण आजकल बहुत गुमसुम रहते हैं। ”

“ हाँ , मेरे कारण वह अपनी पत्नी से भी दूर है , परन्तु मैं जानता हूँ जब तक मैं अयोध्या नहीं जाऊंगा , वह भी नहीं जायगा। ”

“ जानती हूँ , परन्तु एक सुझाव है , नदी के उसपार एक विवाह का आयोजन हो रहा है , और हमें इसके लिए निमंत्रण भी आया है , आप यदि कहेंगे तो लक्ष्मण आपका प्रतिनिधत्व करने के लिए अवश्य चला जायगा। ”

राम मुस्करा दिए , “ पिछले दिनों यहां राक्षसों के साथ इतनी मुठभेड़ें हुई हैं कि, लक्ष्मण विशेष रूप से तनाव में रहा है , यह विनोद प्रमोद उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा। ”

जब राम ने लक्ष्मण से इस विषय पर बात की तो लक्ष्मण ने कहा ,” सुझाव तो अच्छा है , पर भैया अमोद प्रमोद की आवश्यकता तो आपको और भाभी को भी है , यह तनाव तो हम सबने भुगता है। ”

लक्ष्मण ने पल भर के लिए उत्तर की प्रतीक्षा की , जब राम मौन रहे तो लक्ष्मण ने फिर से कहा , “ मैं आपकी बात रखता हूँ , आप मेरी बात रखिये , मैं आप दोनों के नौका विहार का प्रबंध करता हूँ। ”

राम मुस्करा दिए, ” विचार बुरा नहीं, नदी किनारे आग की व्यवस्था भी कर देना , पहले तुम्हारी भाभी के लिए मै भोजन पकाऊँगा, फिर चांदनी रात में नौका विहार के लिए ले जाऊंगा। ”

सुनकर लक्ष्मण का मन खिल गया , ” और भैया , यह योजना हम भाभी से गुप्त रखेंगे ,अचानक यह सब देखकर वह कितनी प्रसन्न हो जायेंगी !”

अपने भाई की यह निश्छलता देख राम का मन भर आया, और उर्मिला के बारे मेँ सोचकर वह और भी द्रवित हो उठे ।

सीता सब प्रबंध देखकर सुखद आश्चर्य से भर उठी ,” मुझसा सुखी कोई नहीं। ” सीता ने चाँद को देखते हुए नाव मेँ कहा ।
“ और मुझसा भाग्यवान ।” राम ने कहा ।

“ अच्छा राम, क्या सचमुच कभी मैंने तुम्हारी आत्मा को छुआ है ?”

राम ने सीता की आँखों में देखते हुए कहा, “ वहीं तो छुआ है तुमने ।”

“ कैसे ?”

राम ने चप्पू छोड़कर सीता के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिये , फिर उनका माथा चूमकर कहा , “ जब तुम किसी अस्वस्थ बच्चे के लिये रातभर सो नहीं पाती तो मेरी आत्मा को छूती हो , जब भूखे अतिथि के लिये अपना भोजन छोड़ देती हो तो मेरी आत्मा को छू लेती हो , जब तुम –”

इससे पहले कि राम आगे कुछ कहते, सीता ने उनके ओंठो पर हथेली रख दी , ” बस मैं समझ गई। ”

राम और सीता उस चाँदनी रात में कुछ पल, एक सुखद शांति का अनुभव करते हुए चुपचाप पवन और नदी के बहाव में खोये रहे, फिर राम ने कहा ,

“ कभी-कभी सोचता हूँ, जीवन में तुम्हें कुछ नहीं दे पाया, घर के नाम पर एक छोटी सी कुटिया, दिन भर का श्रम, सदा असुरक्षा में बना रहने की बाध्यता, तुम्हारे मित्र, बंधु बांधव सबको मिले कितना समय हो गया है तुम्हें , “ फिर एक पल रूक कर कहा ,”जिसके लिए मुझे श्रृंगार के साधन जुटाने चाहिए थे, उससे हमेशा लिया ही है।” अंत तक आते आते राम का स्वर द्रवित हो उठा ।

यह सब सुनकर सीता की आँखें नम हो उठी , उन्होंने राम को स्नेह से देखते हुए कहा, “ राम किसी भी स्त्री को ऐसा पति चाहिए होता है, जिसके जीवन मूल्य सुदृढ़ हों , और चिंतन स्पष्ट हो , अपने उद्देश्य में मुझे भागीदार बनाकर, तुमने शेष सब आवश्यकताओं को निरर्थक बना दिया । मन के इस गहरे संतोष को अनुभव करने के बाद कुछ भी तो आवश्यक नहीं रह जाता ।”

राम मुस्करा दिये, पर सीता जानती थी, राम अभी भी पूरी तरह से सहमत नहीं हुए हैं । वह खिल उठी और राम के चप्पू चलाते हाथों को रोककर कहा, “ तुमने मुझे स्वयं को जानने में सहायता की है, इसलिए मेरी ख़ुशी क़िस्में है , यह चुनाव भी मेरा है। “

राम भी खिल उठे ,” कभी-कभी सोचता हूं, अंतिम सत्य पा जाने का सुख , क्या तुमसे एक होने के सुख से भिन्न होगा !”

सीता हंस दी , “ आज की रात मैं उस अंतिम सत्य को पाने की भी इच्छा नहीं रखती, मैंने सब पा लिया है ।”

उस रात पूरी सृष्टि उनके इस सुख में खो गई।



It had been ten years while living in exile, due to being away from home for so many years, there was some sadness in the mind of all three, but no one was discussing it.

One day Sita said to Rama, “Lakshman is very silent these days. ,

“Yes, because of me he is away from his wife also, but I know he will not go till I go to Ayodhya. ,

“I know, but there is a suggestion, a marriage is being organized across the river, and we have also received an invitation for it, if you ask, then Lakshman will definitely go to represent you. ,

Ram smiled, “There have been so many encounters with demons here in the past that, with Lakshman being particularly stressed, this Vinod Pramod would be good for his mental health. ,

When Rama talked to Lakshmana on this subject, Lakshmana said, “Suggestion is good, but brother Amod Pramod is needed by you and sister-in-law too, we all suffer this stress. ,

Lakshmana waited for an answer for a moment, when Rama remained silent, Lakshmana said again, “I speak to you, you keep my word, I will arrange boating for both of you. ,

Ram smiled, “The idea is not bad, arrange a fire on the banks of the river, first I will cook food for your sister-in-law, then I will take you for boating in the moonlight night. ,

Hearing this, Lakshman’s mind blossomed, “And brother, we will keep this plan a secret from sister-in-law, how happy she will be suddenly seeing all this!”

Seeing this innocence of his brother, Ram was filled with heart, and thinking of Urmila, he became even more moved.

Seeing all the arrangements, Sita was pleasantly surprised, “No one is happier than me. ‘ Sita said looking at the moon in the boat. “And luckier than me.” Ram said.

“Good Ram, have I ever really touched your soul?”

Looking into Sita’s eyes, Rama said, “That’s where you have touched.”

” How ?”

Rama, leaving the paddle, took Sita’s both hands in his hand, then kissing her forehead said, “When you can’t sleep the whole night for an unhealthy child, you touch my soul, when you leave your food for a hungry guest, touch my soul, when you –“

Before Rama could say anything further, Sita placed her palm on his lips, “I just understood. ,

Rama and Sita remained silently lost in the wind and the flow of the river for a few moments in that moonlit night, experiencing a pleasant peace, then Rama said,

“Sometimes I think, I could not give you anything in life, a small hut in the name of the house, a whole day’s labor, the compulsion to be always in insecurity, your friends, brothers and sisters, how long has it been for you? , ” then paused for a moment and said, “For which I should have gathered the means of makeup, I have always taken it from him.” By the time he came to the end, Ram’s voice became trembling.

Hearing all this, Sita’s eyes became moist, looking at Rama with affection, she said, “Ram, any woman needs a husband whose values ​​​​are strong, and the thinking is clear, By making me a partner in your purpose, you All other requirements were made redundant. After experiencing this deep contentment of the mind, nothing remains necessary.”

Ram smiled, but Sita knew, Ram still did not fully agree. She blossomed and said, stopping Rama’s paddle-wielding hands, “You have helped me to know myself, hence my happiness, this choice is also mine. ,

Rama also burst into tears, “Sometimes I wonder, would the joy of finding the ultimate truth be different from the happiness of being one with you!”

Sita laughed, “Tonight I don’t even wish to get that final truth, I have got it all.”

That night the whole creation was lost in his happiness.

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *