राम तत्त्व की महिमा

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अवधपुरी में राजा दशरथ के घर श्रीराम अवतरित हुए तब से ही लोग श्रीराम का भजन करते हैं, ऐसी बात नहीं है । राजा दिलीप, राजा रघु एवं राजा दशरथ के पिता राजा अज भी श्रीराम का ही भजन करते थे क्योंकि श्रीराम केवल दशरथ के पुत्र ही नहीं हैं, बल्कि रोम-रोम में जो चेतना व्याप्त रही है, रोम-रोम में जो रम रहा है उसका ही नाम है ‘राम’। राम जी के अवतरण से हजारों-लाखों वर्ष पहले राम नाम की महिमा वेदों में पायी जाती है।

रमन्ते योगिनः यस्मिन् स रामः।
‘जिसमें योगी लोगों का मन रमण करता है उसी को कहते हैं ‘राम’।’

एक राम घट-घट में बोले,
दूजो राम दशरथ घर डोले।
तीसर राम का सकल पसारा,
ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।

इस कथनानुसार तो चार राम हुए। ऐसा कैसे ?”
“थोड़ी साधना करो, जप-ध्यानादि करो, फिर समझ में आ जायेगा।”

जीव राम घट-घट में बोले।
ईश राम दशरथ घर डोले।
बिंदु राम का सकल पसारा।
ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।

जीव, ईश, बिंदु व ब्रह्म इस प्रकार भी तो राम चार ही हुए न ?”
साधना आदि करके मति थोड़ी सूक्ष्म तो हुई है। किंतु अभी तक चार राम दिख रहे हैं। घड़े में आया हुआ आकाश, मठ में आया हुआ आकाश, मेघ में आया हुआ आकाश और उससे अलग व्यापक आकाश, ये चार दिखते हैं। अगर तीनों उपाधियों – घट, मठ, और मेघ को हटा दो तो चारों में आकाश तो एक-का-एक ही है। इसी प्रकारः
वही राम घट-घट में बोले।
वही राम दशरथ घर डोले।
उसी राम का सकल पसारा।
वही राम है सबसे न्यारा।।

रोम-रोम में रमने वाला
चैतन्यतत्त्व वही का वही है और उसी का नाम है चैतन्य राम”
वे ही श्रीराम जिस दिन दशरथ-कौशल्या के घर साकार रूप में अवतरित हुए,

कैसे हैं वे श्रीराम ? भगवान श्रीराम नित्य कैवल्य ज्ञान में विचरण करते थे। वे आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र एवं आदर्श शत्रु थे।

आदर्श शत्रु ! हाँ, आदर्श शत्रु थे, तभी तो शत्रु भी उनकी प्रशंसा किये बिना न रह सके। कथा आती है कि लक्ष्मण जी के द्वारा मारे गये मेघनाद की दाहिनी भुजा सती सुलोचना के समीप जा गिरी। सुलोचना ने कहाः ‘अगर यह मेरे पति की भुजा है तो हस्ताक्षर करके इस बात को प्रमाणित कर दे।’ कटी भुजा ने हस्ताक्षर करके सच्चाई स्पष्ट कर दी।

सुलोचना ने निश्चय किया कि ‘मुझे अब सती हो जाना चाहिए।’ किंतु पति का शव तो राम-दल में पड़ा हुआ था। फिर वह कैसे सती होती ! जब अपने ससुर रावण से उसने अपना अभिप्राय कहकर अपने पति का शव मँगवाने के लिए कहा, तब रावण ने उत्तर दियाः “देवी ! तुम स्वयं ही राम-दल में जाकर अपने पति का शव प्राप्त करो। जिस समाज में बालब्रह्मचारी श्रीहनुमान, परम जितेन्द्रिय श्री लक्ष्मण तथा एकपत्नीव्रती भगवान श्रीराम विद्यमान हैं, उस समाज में तुम्हें जाने से डरना नहीं चाहिए। मुझे विश्वास है कि इन स्तुत्य महापुरुषों के द्वारा तुम निराश नहीं लौटायी जाओगी।”

जब रावण सुलोचना से ये बातें कह रहा था, उस समय कुछ मंत्री भी उसके पास बैठे थे। उन लोगों ने कहाः “जिनकी पत्नी को आपने बंदिनी बनाकर अशोक वाटिका में रख छोड़ा है, उनके पास आपकी बहू का जाना कहाँ तक उचित है ? यदि यह गयी तो क्या सुरक्षित वापस लौट सकेगी ?”

यह सुनकर रावण बोलाः “मंत्रियो ! लगता है तुम्हारी बुद्धि विनष्ट हो गयी है। अरे ! यह तो रावण का काम है जो दूसरे की स्त्री को अपने घर में बंदिनी बनाकर रख सकता है, राम का नहीं।”
धन्य है श्रीराम का दिव्य चरित्र, जिसका विश्वास शत्रु भी करता है और प्रशंसा करते थकता नहीं ! प्रभु श्रीराम का पावन चरित्र दिव्य होते हुए भी इतना सहज सरल है कि मनुष्य चाहे तो अपने जीवन में भी उसका अनुसरण कर सकता है।
हे राम ! हे हरि ! हे अच्युत ! गोविंद ! दीनदयाल ! हम सभी को सदबुद्धि दे। हम संयमी, सदाचारी बनकर आत्मदेव को पा लें। हे अंतरात्मा ! हे परमात्मा ! हे दीनबंधु ! हे भक्तवत्सल ! ॐ प्रभु जी ॐ…..’ ऐसा पुकारते, प्रार्थना करते डूब जायें। वे कृपालु अवश्य कृपा करते हैं l



People worship Shri Ram since the time Shri Ram appeared in the house of King Dasharatha in Awadhpuri, it is not such a thing. King Dilip, King Raghu and King Dasaratha’s father, King Aj also used to worship Shri Ram because Shri Ram is not only the son of Dasharatha, but the consciousness that has been prevailing in Rome and Rome, only that which is being rammed in Rome and Rome. The name is ‘Ram’. Thousands and millions of years before the incarnation of Ram ji, the glory of the name of Ram is found in the Vedas.

That Rama in whom the yogis delight. ‘What the mind of the yogis delights in is called ‘Ram’

One Ram said in a hustle and bustle, Dujo Ram Dashrath dole the house. The gross spread of the third Ram, Brahma Ram is the most unique.

According to this statement, there were four Rams. how come ?” “Do some spiritual practice, chant and meditate, then you will understand.”

Jeev Ram spoke in hustle and bustle. Ish Ram Dashrath lost his house. Bindu Ram’s gross spread. Brahma Ram is the most unique.

Jiva, Ish, Bindu and Brahm have become four in this way too, aren’t they? By doing spiritual practice etc., the death has become a little subtle. But still four Rams are visible. The sky in the pitcher, the sky in the monastery, the sky in the cloud and the vast sky beyond it, these four are visible. If we remove all the three titles – Ghat, Math, and Megh, then the sky is the same in all four. Similarly: The same Ram spoke in hustle and bustle. The same Ram Dasharatha drove home. The gross spread of the same Ram. That Ram is the most beautiful.

romper Chaitanyatattva belongs to Him and His name is Chaitanya Rama. That day Shri Ram appeared in the form of a corporeal form at Dasharatha-Kaushalya’s house,

How is he Shriram? Lord Shri Ram used to roam in the knowledge of Kaivalya regularly. He was the ideal son, ideal disciple, ideal friend and ideal enemy.

Ideal Enemy! Yes, there were ideal enemies, that’s why even the enemy could not live without praising him. Legend has it that the right arm of Meghnad, who was killed by Lakshman ji, fell near Sati Sulochana. Sulochana said: ‘If it is my husband’s arm, then prove it by signing it.’ The severed arm made the truth clear by signing it.

Sulochana decided that ‘I should become sati now.’ But the dead body of the husband was lying in the Ram-Dal. Then how could she be sati! When she asked her father-in-law, Ravana, to get the body of her husband, saying his intention, Ravana replied: “Goddess! You yourself go to the Ram-Dal and get the dead body of your husband. Lakshmana and Ekapatnivrati Lord Shri Ram are present, you should not be afraid to go to that society. I am sure that you will not be returned disappointed by these stupendous great men.”

When Ravana was saying these things to Sulochana, some ministers were also sitting near him. Those people said: “How far is it appropriate for your daughter-in-law to go to the Ashok Vatika, whose wife you have taken as a captive? If she goes, will she be able to return safely?”

Hearing this, Ravana said: “Ministers! It seems your intellect has been destroyed. Hey! It is the work of Ravana who can keep another’s woman as a captive in his house, not of Ram.” Blessed is the divine character of Shri Ram, which even the enemy believes and does not tire of praising! Despite being divine, the holy character of Lord Shri Ram is so simple that man can follow him even in his life if he wants. Oh Ram! O Hari ! Oh good! Govind ! Deendayal! Give wisdom to all of us. May we attain the Self-God by becoming self-restraint, virtuous. O conscience! Oh god! Oh dear! O devotee! Lord …..’ Calling like this, get drowned while praying. they must be kind

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