श्मशानेष्वाक्रीडा स्मरहर पिशाचाः सहचराः |
चिता-भस्मालेपः स्रगपि नृकरोटी-परिकरः ||
अमंगल्यं शीलं तव भवतु नामैवमखिलं |
तथापि स्मर्तॄणां वरद परमं मंगलमसि ||
भावार्थ: आप श्मशान में रमण करते हैं, भूत – प्रेत आपके मित्र हैं, आप चिता भष्म का लेप करते हैं तथा मुंडमाल धारण करते हैं। ये सारे गुण ही अशुभ एवं भयावह जान पड़ते हैं। तब भी हे श्मशान निवासी ! उन भक्तों जो आपका स्मरण करते है, आप सदैव शुभ और मंगल
करते है।
शैव-सिद्धान्तसार में कहा गया है कि प्रलयकाल में शिव के अतिरिक्त दूसरा कोई नहीं रहता, ब्रह्माण्ड श्मशान हो जाता है, उसकी भस्म और रुण्ड-मुण्ड में शिव ही व्यापक होता है, अत: ‘चिताभस्मालेपी’ और ’रुण्डमुण्डधारी’ कहलाता है न कि वह अघोरियों के समान चिता-निवासी है।
कल्पान्तकाले प्रलुठत्कपाले समग्र लोके विपुल श्मशाने |
त्वमेक देवोऽसि तदावशिष्ट श्तिताश्रयो भूतिधर: कपाली ||
भगवान शिव समन्वय के प्रतीक हैं। उनके लिए अच्छा बुरा सब समान है। कोई भी वस्तु उनके लिए अप्रिय नहीं है। श्मशान और राजमहलों का निवास उनके लिए समान है। चंदन और चिताभस्म दोनों को ही वे सहज रूप में स्वीकार करते हैं। भस्म या चिताभस्मलेप शिव के ज्ञान -वैराग्य और विनाशशील विश्व में अविनाशी (भस्म) के वरण का संकेत देता है। सर्वलोकाधिपति होकर भी भगवान शंकर ने विभूति और व्याघ्रचर्म को ही अपना भूषन-बसन बनाकर संसार में वैराग्य को ही श्रेष्ठ बतलाया है। || हर हर महादेव ||
Playing in the cemeteries, destroying lust, the vampires are their companions The coffin-ashes are smeared with garlands and the bread of men is used
May your character be unfortunate and may your name be so whole Yet, O bestower of boons, you are the supreme auspiciousness for those who remember you
Meaning: You take pleasure in the crematorium, ghosts are your friends, you cover the pyre with ashes and wear a swaddle. All these qualities seem to be inauspicious and frightening. Even then, O crematorium dweller! Those devotees who remember you, may you always be auspicious and happy. does.
It is said in Shaiv-Siddhantasara that in the time of catastrophe there is no one other than Shiva, the universe becomes a cremation ground, Shiva is widespread in its ashes and rune-mund, hence it is called ‘Chitabhasmalepi’ and ‘Rundmunddhari’ and not He is a pyre-dweller like the Aghoris.
Kalpantakale Praluthakpale Samagra Loke Vipul Crematorium | Tvameka devosi tadavasisht shtitashrayo bhutidhar: kapali || Lord Shiva is a symbol of harmony. Good and bad are all the same for them. Nothing is unpleasant for them. The crematorium and the residence of the palaces are the same for them. He readily accepts both sandalwood and chitabhasma. Bhasma or Chitabhasmlep indicates Shiva’s selection of imperishable (bhasma) in the knowledge-dispassion and perishable world. Lord Shankar, being the Supreme Lord, has made Vibhuti and Vyaghracharma his Bhushan-Basan and has declared detachment as the best in the world. , Har Har Mahadev ||