श्री गौरदासी भाग 4

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भाग – 4

गतांक से आगे –

हे श्याम सुन्दर ! बस मुस्कुराते रहोगे क्या ? मेरे मीत ! क्या तुम्हें अच्छा लगेगा ये वहशी लोग तुम्हारी गौरा के देह से खेलें ! मेरा तन मन सब कुछ तुम्हारा है …सिर्फ तुम्हारा ।

गौरा पुकार रही है ….उसके नेत्रों से अश्रु धार बहते जा रहे हैं …..पर ये क्या ! भीड़ ने दरवाज़ा तोड़ दिया है ……गौरा डर गयी ….उसने अपने पिता की बन्दूक निकालनी चाही ….पर वो भी नही निकाल पाई ….भीड़ उसके घर में घुस गयी है ….नीचे लूट लिया सारा सामान ….जो जो जिसको मिला , गौरा ऊपर है …उसने ऊपर का गेट लगा लिया है ….पर ये गेट लकड़ी का ही तो था …अगर लोहे का भी होता तो भी क्या होता …हजारों की संख्या में ये उन्मादी घुस आये थे …..गौरा ने सोचा अब अगर ये लोग भीतर आगये तो मैं अपने जीवन को ही खतम कर लुंगी ….उसने गेट की कुण्डी लगाई ही पर स्वयं भी खड़ी हो गयी गेट को रोकने के लिये ….पर बेचारी ये क्या रोक पाती …गेट टूट गया ….वो श्रीकृष्ण चरणों में जाकर गिरी ।

दरिन्दे हंसे …..बला की खूबसूरत है …ये मुझे चाहिये ….एक आतंककारी आगे बढ़ा ….उसने साड़ी पकड़ी और जैसे ही खींची …..गौरा – हा कृष्ण ! हा नाथ ! हा मीत ! चिल्लाई ।

तभी बाहर से किसी ने केरोसिन बम फेंका …..जिसने साड़ी पकड़ी थी वो तो पूरा ही जल गया …बाकी कुछ जले कुछ भागे …..उन मुसलमान उन्मादियों में भगदड़ मच गयी थी ….मरे तो नही …पर मरने से भी ज़्यादा बुरी स्थिति में पहुँच गये थे ये लोग ….कईयों का तो चेहरा पूरा जल गया था …किसी के हाथ और पैर ….जिसने गौरा की साड़ी पकड़ी थी उसके तो सीधे मुँह में ही फटा था केरोसिन बम ….उसको कोई भी देखता था वो चीखकर भाग रहा था ….उन उन्मादियों में हा हाकार मच गया ….गौरा के मीत ने उन्मादियों में हाहाकार मचा दिया ।


घर जल गया है ….डरते कांपते क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती महाशय ने घर में प्रवेश किया ….घर की स्थिति देखकर वो काँप रहे हैं ….क्रोध और भय एक साथ है……मेरी बेटी जल गयी या वो लोग उठा कर ले गये !

गौरा ! गौरा ! वो आवाज लगा रहे हैं …..

घर के भीतर का सारा सामान जल गया है ….वो रोते सुबकते ऊपर की ओर गये ….गौरा ! ओ गौरा ! कहीं नही है गौरा …..वो रोने लगे …तभी देखी – भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में गिरी हुयी है गौरा ….अंधकार के कारण चक्रवर्ती महाशय देख नही पाये थे ….प्राण में प्राण आगये ……पास में गये ….मेरी बच्ची ! गौरा सुबक रही थी …..पिता की आवाज सुनी तो उठी …..अपने पिता के गले से लग गयी ….आँसु पोंछे – बोली …बाबा ! अब हम यहाँ नही रहेंगे …..चलो ! पर कहाँ चले ? दो दिन गौड़ीय मठ में उसके बाद कलकत्ता । स्पष्ट बोल रही थी गौरा ….कोई दीन हीन भाव नही ….चक्रवर्ती महाशय क्या कहते ….वो उठी उसने उस घर से कुछ नही लिया कुछ बचा भी तो नही था । बस अपने पिता को पकड़ा और अपने श्रीकृष्ण को छाती से चिपकाकर गौड़ीय मठ की ओर चल पड़ी थी ।

बेटी ! रात है ….कहीं उन्मादी तत्व कुछ कर न दें ! क्षतिश चन्द्र चक्रवर्ती डर रहे थे ।

बाबा ! मैं समझ गयी …..मेरे साथ मेरे श्याम सुन्दर हैं ….मेरा अब काल भी कुछ नही बिगाड़ सकता आप चलिये ! पिता ने देखा गौरा के मुख में अब एक अलग ही तेज था ….लोग मिले …उन्मादी भी मिले ….पर गौरा से आँखें भी मिलाने की किसी में हिम्मत नही हो रही थी ।


दो दिन ढाका के गौड़ीय मठ में रहकर इन्होंने बांग्लादेश छोड़ दिया और ये दोनों कलकत्ता चले आये थे ….गौरा अब पूर्ण भक्त हो गयी है …..भक्त तो ये पहले से थी ….पर अब ये पूर्ण प्रेमी भक्त बन गयी है ….ये दुःख में अपने मीत को पुकारती थी …किन्तु अब प्रेम पूर्ण निष्काम हो गया था इसका ….उस दिन इसने बहुत भला बुरा कहा …..मुझे बचाओ , मुझे बचाओ , नही तो तेरी लाज जाएगी ….क्या क्या नही कहा इसने …..वो अब अकेले में रोती है ये सोचकर कि कोई पतिव्रता नारी क्या अपने पति को दुःख देगी ? वो दुःख को पी जाएगी अपने ऊपर ले लेगी …पर उफ़ नही करेगी …..गौरा ! तुमने ये क्या किया ? उस रात ! क्या होता …तेरे शरीर को नोंचते …वैसे भी ये तो दो कौड़ी का शरीर है …मल मूत्र से भरा है ….इसके लिए तेने श्याम सुन्दर को कितना कहा …भला बुरा सब कहा । और उसको कितना कुछ करना पड़ा …अब कुछ नही कहेगी गौरा ! अपने मीत से प्यार करेगी ….सिर्फ प्यार देगी …..

और इसने उस दिन के बाद से कुछ नही कहा मीत को …..
…..शिकायत ही इसकी खतम हो गयीं थीं ……

एक दिन गौरा के पिता चक्रवर्ती महाशय भी इस भौतिक शरीर को छोड़कर चले गये …..पर इतने पर भी गौरा ने कोई शिकायत नही की …अब अकेली है गौरा । नही नही अकेली कहाँ है …इसका प्रियतम इसके साथ है …अब उसी के लिए है ये ….भजन करती है …गंगा नहाती है ….अपने प्राण जीवन को बड़े प्रेम से रूखा सूखा बनाकर खिलाती है और फिर उनकी प्रसादी ग्रहण करती है ।

अब चालीस वर्ष की हो गयी है गौरा ….भारत आज़ाद हो गया है ….इसको इससे कोई लेना देना नही है ….हाँ कोई इसको पूछती है तो ये एक ही बात कहती है ….तुम अपनी बात करो …तुम कब आज़ाद हो रहे हो अपने मोह से , अपनी ममता से ? अब ये कहने की आवश्यकता नही है कि गौरा की स्थिति बहुत ऊँची है …..इसकी स्थिति ऊँची क्यों नही होगी …साक्षात् श्रीकृष्ण को अपनी छाती से लगाकर सोती है ये ।

मीत ? क्या मैं श्रीवृन्दावन जाऊँ ?

पूछ रही है अपने मीत से ये गौरा । कुछ महिलायें हैं जो जा रही हैं श्रीवृन्दावन ……तो इसने उनसे कहा है – मैं अपने मीत से पूछ कर बताऊँगी ।
तो घर में आकर पूछ रही है । तू अकेली जायेगी ? प्रतिप्रश्न किया श्याम सुन्दर ने ।
तुम भी जाओगे ? मन ही मन हंसती है ये ……जा अकेली जा ! मुँह फूल गया ग़ुस्से से …ऐ मीत ! इतना ग़ुस्सा भालो ना । चूम लेती है अपने श्याम सुन्दर को ये गौरा ।

और दो दिन बाद ये निकल पड़ते हैं श्रीवृन्दावन के लिये …..

शेष कल –



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Part – 4

ahead of speed

Hey Shyam Sundar! Will you just keep smiling? My friend! Would you like these savages to play with your Gaura’s body? My body, mind, everything is yours… only yours.

Gaura is calling….tears are flowing from her eyes…..but what is this! The crowd has broken the door……Gaura got scared….She wanted to take out her father’s gun….But she also could not….The crowd has entered her house….Looted everything below….Whoever got it , Gaura is above…he has put up the gate above….but this gate was only of wood…what would have happened even if it was of iron…thousands of these fanatics had entered….Gaura thought now if If these people come inside, I will end my life….She has put the latch of the gate, but she herself also stood up to stop the gate….but poor thing, how could she stop…the gate was broken….he was at the feet of Shri Krishna. Fell down

The beasts laughed…..Bala is beautiful…I want this….A terrorist stepped forward….He grabbed the saree and pulled it as soon as….Gaura – Ha Krishna! Ha Nath! Hey friend! Screamed .

That’s why someone threw kerosene bomb from outside…..the one who was holding the saree got burnt completely…others got burnt some ran away….there was a stampede among those Muslim fanatics….did not die…but worse than death These people had reached the situation….the face of many was completely burnt…someone’s hands and legs….the one who had caught hold of Gaura’s saree, the kerosene bomb had exploded directly in his mouth….anybody used to see him screaming. Was running….There was hue and cry among those lunatics….Gaura’s friend created hue and cry among the lunatics.

The house has been burnt….Kshitish Chandra Chakraborty sir entered the house trembling with fear….He is trembling seeing the condition of the house….Anger and fear are together……My daughter got burnt or they took her away!

Gaura! Gaura! They are sounding…

Everything inside the house has been burnt….He went upstairs crying….Gaura! O Gaura! Gaura is nowhere…..he started crying…only then saw – Gaura is fallen at the feet of Lord Krishna….Chakravarti sir could not see due to darkness….life came to life…went near….my baby girl! Gaura was sobbing…..when she heard her father’s voice, she woke up…..she hugged her father….wiping away her tears, she said…Baba! Now we will not stay here…..come on! But where to go? Two days at Gaudiya Math, then Calcutta. Gaura was speaking clearly….no inferiority complex….what Mr. Chakraborty would say….she got up, she did not take anything from that house, there was nothing left. Just holding her father and hugging her Shri Krishna to her chest, she started towards Gaudiya Math.

Daughter ! It is night….May the frenzied elements do anything! Damash Chandra Chakraborty was getting scared.

Dad ! I understood…..my Shyam Sundar is with me….even my time can’t spoil anything, you go! Father saw that there was a different sharpness in Gaura’s face now….People met…Maniacs also met….But no one had the courage to even make eye contact with Gaura.

After staying in Gaudiya Math of Dhaka for two days, he left Bangladesh and both of them came to Calcutta….Gaura has now become a complete devotee….She was a devotee earlier….But now she has become a complete loving devotee…. She used to call out to her friend in sorrow… but now her love has become completely useless…..that day she said many good and bad…..save me, save me, otherwise you will be ashamed….what did she not say…. .She now cries alone thinking that will a chaste woman hurt her husband? She will drink the sorrow, take it upon herself…but will not feel sorry…..Gaura! What did you do ? that night ! What would have happened…scratching your body…anyway it is a body of two pennies…feces are full of urine….how much did you say to Shyamsundar for this…said everything good and bad. And she had to go through so much… Now Gaura will not say anything! Will love my friend….will only give love…..

And he didn’t say anything to Meet after that day….. …..complaints had come to an end……

One day Gaura’s father Chakravarti Mahasaya also left this physical body and went away….but even then Gaura did not complain…Gaura is alone now. No no where is she alone… her beloved is with her… now it is for her only….she sings hymns…takes bath in Ganga….feeds her life by making it dry and dry with great love and then receives her prasadi.

Now Gaura is forty years old….India has become independent….She has nothing to do with it….Yes if anyone asks her, she says only one thing….You talk about yourself…when are you getting free Are you from your love, from your affection? Now there is no need to say that Gaura’s status is very high…..why won’t her status be high…she sleeps hugging Shri Krishna to her chest.

Friend? Shall I go to Sri Vrindavan?

This Gaura is asking her friend. There are some women who are going to Sri Vrindavan…… so he told them – I will ask my friend and tell. So she is asking after coming home. will you go alone Shyam Sundar asked a counter question. will you go too She laughs in her heart…… Go alone! My mouth swelled with anger… O friend! Don’t be so angry. This Gaura kisses her Shyam Sundar.

And after two days they leave for Sri Vrindavan…..

rest of tomorrow

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