रामनवमी के नौ राम, परमात्मा से राजा, पुत्र से पिता और पति तक भगवान राम के नौ रुप जो सिखाते हैं जीवन के नए आयाम
राम जन्मोत्सव पर भगवान राम के नौ रुप, कैसे जीएं-कैसे रहें सिखाते हैं भगवान
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
चैत्र शुक्ल नवमी…राम नवमी…वो तिथि जब वैकुंठ स्वामी भगवान विष्णु मानव रुप में धरती पर अवतरित हुए। नाम रखा गया “राम”। वाल्मीकि से लेकर तुलसी तक, विद्वानों ने हजारों तरह से राम की कथा को लिखा है। सार एक है, अर्थ एक है, कथा एक है, बस कहने का तरीका सबका अपना है। तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
आयाम कई हैं, हरि अनंत-हरि कथा अनंता। लेकिन, हम आज राम नवमी पर श्रीराम के उन नौ रुपों के बारे में चर्चा करेंगे जो आम लोगों के जीवन में कुछ सीख और नया ज्ञान लेकर आए।
अयोध्या और दशरथ का आंगन
अयोध्या की भूमि और दशरथ का आंगन जहां भगवान नर अवतार लेकर आए। ये भी एक संकेत है, अयोध्या का मूल अर्थ है अ+युद्ध, मतलब वो स्थान जहां युद्ध ना होता हो, जो शांति की भूमि हो। और, दशरथ का अर्थ है, जो दस घोड़ों के रथ पर सवार हो। दस घोड़ों वाला रथ सिर्फ धर्म का है, अध्यात्म कहता है धर्म के दस अंग हैं। मनु ने धर्म के दस लक्षण कहे हैं,
धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। (मनु स्मृति 6-96)
धृति (धैर्य), क्षमा, दम (संयम) अस्तेय (चोरी ना करना). शौच (भीतर और बाहर की पवित्रता), इंद्रिय निग्रह (इंद्रियों को वश में रखना), धी (बुद्धि), विद्या, सत्य और अक्रोध। ये दस धर्म के लक्षण हैं। जो इन दस घोड़ों के रथ पर सवार है, वही दशरथ है। सीधा अर्थ है, जिस मन में भावनाओं का युद्ध ना हो, मन का स्वामी धर्म के दस लक्षणों से युक्त हो तो राम उसके मन में जन्म लेंगे।
राम होने का अर्थ क्या?
राम शब्द जितना छोटा है, इसकी व्याख्या उतनी ही विशाल है। पुराण कहते हैं “रमंते सर्वत्र इति रामः” अर्थात जो सब जगह व्याप्त है वो राम है। संस्कृत व्याकरण और शब्द कोष कहता है “रमंते” का अर्थ है राम, अर्थात जो सुंदर है, दर्शनीय है वो राम है। मनोज्ञ शब्द को भी राम से जोड़ा जाता है। मनोज्ञ का अर्थ है मन को जानने वाला। हिंदी व्याख्याकार राम का अर्थ बताते हैं जो आनंद देने वाला हो, संतुष्टि देने वाला हो।
श्रीराम नाम महिमा…..
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका। भए नाम जपि जीव बिसोका।।
बेद पुरान संत मत एहु। सकल सुकृत राम सनेहु।। (बालकांड, दोहा – 26/चौपाई-1)
अर्थ – चारों युगों में, तीनों कालों में और तीनों लोकों में, नाम को जप कर जीव शोक रहित हुए हैं। वेद, पुराण और संतों का मत यही है कि समस्त पुण्यों का फल श्रीरामजी (या राम नाम) में प्रेम होना है।
तुलसीदास ने बालकांड में राम नाम की महिमा का बखान किया है। राम शब्द को कई ग्रंथों ने संपूर्ण मंत्र तक माना है। राम नाम ग्रंथों में सबसे छोटा और सबसे सटीक मंत्र कहा गया है। ये इतना आसान है कि प्राचीन काल से राम शब्द भारतीय संस्कृति में अभिवादन करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। स्वर विज्ञान कहता है, दीर्घ स्वर में राम शब्द का उच्चारण करने से शरीर पर वैसा ही असर पड़ता है, जैसा ऊँ के उच्चारण से होता है।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
पुत्र श्रीराम……………………………….
प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा।।
आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषई मन राजा।। (बालकांड, दोहा 204/चौपाई-4)
अर्थ – श्री रघुनाथ प्रातः काल उठकर माता-पिता और गुरु को मस्तक नवाते हैं। और, उनकी आज्ञा लेकर नगर का काम करते हैं। उनके चरित्र को देखकर राजा दशरथ मन में बड़े हर्षित होते हैं।
राम पुत्र के रुप में सबसे आदर्श व्यक्तित्व हैं। पिता के एक वचन के लिए राज्य का त्याग करके वनवास स्वीकार करने वाले राम रोज सुबह अपने माता-पिता और गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं। राज्य के काम में पिता की सहायता करते हैं।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
पति श्रीराम… ………………………………
एक बार चुनि कुसुम सुहाए। निज कर भूषण राम बनाए।
सीतहि पहिराए प्रभु सादर। बैठे फटिक सिला पर सुंदर।। (अरण्यकांड, चौपाई-2)
अर्थ – एक बार सुंदर फूल चुनकर श्रीराम ने अपने हाथों से भांति-भांति के गहने बनाए और सुंदर स्फटिक शिला पर बैठे हुए प्रभु ने आदर के साथ वे गहने श्रीसीताजी को पहनाए।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का सीता के प्रति अगाध प्रेम है। वनवास के दौरान प्रसंग मिलता है कि अपने हाथों से सीता के लिए फूलों के गहने बनाए और आदर के साथ उन्हें पहनाए। राम संकेत कर रहे हैं कि आदर्श पति वो ही है जो पत्नी को प्रेम के साथ उचित आदर भी दे। वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे के आत्मसम्मान और व्यक्तित्व की गरिमा का ध्यान रखना भी पति-पत्नी का कर्तव्य है।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
भाई श्री राम……………………………………..
भरत सरिस प्रिय को जग माहीं। इहइ सगुन फलु दूसर नाहीं।।
रामहिं बंधु सोच दिन राती। अंडन्हिं कमठ हृदय जेहिं भाँती।। (अयोध्याकांड, दोहा-6/चौपाई-4)
अर्थ – भरत के समान जगत में मुझे कौन प्यारा है। शकुन का बस यही फल है, दूसरा नहीं। श्रीरामचंद्रजी को अपने भाई का दिन रात ऐसा सोच रहता है, जैसा कछुए का हृदय अंडों में रहता है।
भगवान राम का अपने भाइयों के प्रति बहुत स्नेह था। उन्होंने लक्ष्मण को अपने साथ पुत्र के समान रखा, वहीं, भरत को वो सबसे ज्यादा प्रेम करते थे। एक भाई को अपने साथ स्थान दिया और दूसरे को मन में स्थान दिया। प्रेम के संतुलन का ये सूत्र सिर्फ श्रीराम ही जानते थे। रामचरित मानस में विभीषण, हनुमान और सुग्रीव तीनों को वो ही स्थान दिया, जिसकी तुलना वे भरत से करते हैं। तुम्ह मम प्रिय भरतहिं सम भाई….।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
मित्र श्री राम………………………………
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।। (किष्किंधाकांड, दोहा-6/चौपाई-1)
अर्थ – जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है। अपने पर्वत समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु (बड़े भारी पर्वत) के समान जानें।
मित्रता निभाने में भगवान राम से बढ़कर कभी कोई नहीं हुआ। जिसे भी मित्र बनाया, पहले उसकी इच्छा पूरी की। सुग्रीव से दोस्ती की तो बालि को मारकर उसे राजा बना दिया, विभीषण शरण में आया तो बिना कहे लंका का राजा घोषित कर दिया। राम में मित्रता का वो गुण है, जो किसी में नहीं। वे लेने के अपेक्षा नहीं रखते, पहले अपनी ओर से देते हैं।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
शिष्य श्री राम…………………………… .
गुरु गृह पढ़न गए रघुराई। अल्पकाल विद्या सब पाई।
जाकी सहज श्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी।। (बालकांड, दोहा- 206/चौपाई 2-3)
अर्थ – श्रीरघुनाथ जी गुरु के गृह विद्या पढ़ने को गए। थोड़े ही समय में उनको सब विद्याएं आ गईं। चारों वेद जिनके स्वभाविक श्वास हैं, वे भगवान पढ़ें, ये भारी अचरज है।
शिष्य के रुप में पहले श्रीराम ने वसिष्ठ और फिर गुरु विश्वामित्र से शिक्षा ली। दोनों ही गुरु उनकी महिमा और स्वरुप को जानते थे। लेकिन, सारी विद्याओं के ज्ञाता श्रीराम ने सांसारिक संस्कारों को सुरक्षित रखने के लिए वैसे ही गुरु के आश्रमों में शिक्षा ग्रहण की जैसे कि आम विद्यार्थी करता है। ये संकेत है कि आप जिस परंपरा में रहें उसे पूरे मन से निभाएं, गुरु जो शिक्षा दे उसे पूरे मन से सीखें, कम समय में सीखें, इस तरह उसे जीवन में उतारें कि वो आपके लिए मार्गदर्शक का काम करे।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
राजा श्री राम………………………………..
राम राज बैठें त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।। (उत्तरकांड, दोहा-19/चौपाई-4)
अर्थ – श्रीरामचंद्रजी के राज पर प्रतिष्ठित होने पर तीनों लोक हर्षित हो गए। उनके सारे शोक जाते रहे। कोई किसी से वैर नहीं करता। श्रीराम चंद्रजी के प्रताप से सबकी विषमता (आंतरिक भेदभाव) मिट गई।
राम शब्द का अर्थ ही आनंद और संतुष्टि है। जहां राम राजा बन जाएं वहां कोई भेदभाव, शत्रुता और दुःख हो ही नहीं सकते। रामराज्य की कल्पना ही इसलिए की जाती है, क्योंकि राम के राज्य में ही आंतरिक क्लेश, गरीबी, दुःख आदि का स्थान नहीं है। अगर इंसान के मन में राम का राज हो जाए तो उसका जीवन इन पीड़ाओं से मुक्त हो जाता है।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
परमात्मा श्री राम…………………………….
जौ नर होई चराचर द्रोही। आवै सभय सरन तकि मोही।
तजि मद मोह कपट छल नाना। करउँ सद्य तेहि साधु समाना।। (सुंदरकांड, दोहा 47/चौपाई 1-2)
अर्थ – कोई मनुष्य जो संपूर्ण जड़-चेतन जगत का द्रोही हो, यदि वह भी भयभीत होकर मेरी शरण तककर आ जाए और मद, मोह और नाना प्रकार के छल-कपट त्याग दे, तो मैं भी उसे शीघ्र ही साधु के समान निष्पाप कर देता हूं।
राम ने अपने परमतत्व की खूबी बताई है। जब इंसान सच्चे मन से उनके सामने आ जाता है, तो उसी समय जन्मों के पाप क्षण भर में मिट जाते हैं। सच्चे मन से का अर्थ ही है कि शरण में आ गए तो फिर लौटेंगे नहीं। सुंदरकांड में भगवान ने विभीषण से कहा है “सन्मुख होइ जीव मोहि जबही, जन्म कोटि अघ नासै तबहीं।”
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
योद्धा श्री राम……………………………………
भुजदंड सर कोदंड फेरत रुधिर कन तन अति बने।
जनु रायमुनीं तमाल पर बैठीं बिपुल सुख आपने।। (लंकाकांड, रावणवध, छंद)
अर्थ – श्रीराम अपने भुजदंडों से बाण और धनुष फिरा रहे हैं। शरीर पर रुधिर (रक्त) के कण अत्यंत सुंदर लगते हैं। मानो तमाल के वृक्ष पर बहुत सी लालमुनियां चिड़िया अपने महान सुख में मग्न हुई निश्चल बैठी हों।
राम जितने कोमल और सुदर्शन व्यक्तित्व हैं, उतने ही विकट योद्धा भी। वाल्मीकि ने पंचवटी में खर-दूषण और उनके 14 हजार राक्षसों की सेना से राम के युद्ध का प्रसंग लिखा है। 14 हजार राक्षसों की सेना के सामने ने अकेले राम। सबको मार दिया। अकेले ही पूरी सेना का नाश किया।
तुलसीदास द्वारा रची गई रामचरित मानस सबसे लोकप्रिय रामकथा है। राम के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को इस कथा में गोस्वामी जी ने पिरोया है। राम नाम की महिमा से लेकर, पुत्र, पति, पिता, मित्र, भाई, योद्धा, परमात्मा और राजा राम। राम के व्यक्तित्व के नौ आयाम राम कथा में दिखाए गए हैं।
पिता श्रीराम……………………………….. . .
दुइ सुत सुंदर सीताँ जाए। लव कुस वेद पुरानन्ह गाए।
दोउ बिजई बिनई गुन मंदिर। हरि प्रतिबिंब मनहुँ अति सुंदर।। (उत्तरकांड, दोहा 24/चौपाई 3-4)
अर्थ – श्रीसीताजी ने दो सुंदर पुत्र लव और कुश को जन्म दिया। वेद-पुराणों ने जिनका वर्णन किया है। वे दोनों ही विजयी और विनयी व गुणों के धाम हैं। और, अत्यंत सुंदर हैं, मानो श्रीहरि के प्रतिबिंब ही हों।
राम ने जैसे पुत्र थे, वैसे ही पिता भी थे। जो आदर उन्होंने अपने पिता दशरथ को दिया, वो लव-कुश से पाया। यहां राम का जीवन संकेत करता है कि आप जैसा व्यवहार करते हैं, वो लौटकर आपके पास आता है। राम पिता दशरथ के आज्ञाकारी थे, लव-कुश राम के लिए वैसा ही सम्मान और प्रेम रखते थे। राम के स्वलोकगमन के बाद अयोध्या और राम राज्य की परिकल्पना को लव-कुश ने जीवित रखा।
मात पिता गुरु देवता , चारों एक समान ।
जो इनकी सेवा करें , निश्चय हो कल्यान।।
देना हो तो दीजिए, जनम-जनम का साथ।
कहता भावुक रामसे, पकड़ो मेरा हाथ।।
राम -नाम मुख साथ हो, करना हो शुभ काम।
संग चले शुभकामना, करें साधना धाम।।
दर्शन करना राम का, बन जाओ हनुमान।
संग रहे श्री राम जी, मिलता जाए ज्ञान।।
मर्यादा बन आप फिर, करें जगत का काज।
जग वाले पहना रहे, सिर पर प्यारा ताज।।
अंतस मन से आपको, कहना है श्री राम।
भवसागर से पार फिर,मिले राम सुख धाम।।
करे राम विश्राम है, मातु सिया के संग।
दर्शन सुख प्यारे हुए, शीश धरे फिर अंग।।
श्रद्धा परम पवित्र रख, प्रभु का जप फिर नाम।
तीन लोक के देवता जपते आठों याम।।
कहते हैं हनुमान जी, नित्य झुकाव शीश।
राम -राम के जाप से, तुम्हें मिले जगदीश।।
प्रातः उठते भजन हो, मुख से निकले राम।
कहते हैं हनुमान जी, दर्शन देंगे धाम।।
करुणाकर करुणा करें, जीवन करे निहाल।
बच्चे हैं आनंद में, गोदी खेले लाल।।
Nine Rams of Ram Navami, from God to King, from son to father and husband, nine forms of Lord Ram which teach new dimensions of life.
Nine forms of Lord Ram on Ram Janmotsav, God teaches how to live
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Chaitra Shukla Navami…Ram Navami…the date when Vaikuntha Swami Lord Vishnu incarnated on earth in human form. Named “Ram”. From Valmiki to Tulsi, scholars have written the story of Ram in thousands of ways. The essence is one, the meaning is one, the story is one, it’s just that everyone has their own way of saying it. Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
There are many dimensions, Hari Ananta-Hari Katha Ananta. But, today on Ram Navami, we will discuss about those nine forms of Shri Ram which bring some learning and new knowledge in the lives of common people.
Ayodhya and Dasharatha’s courtyard
The land of Ayodhya and the courtyard of Dasharatha where God came in male incarnation. This is also an indication, the original meaning of Ayodhya is A + war, meaning a place where there is no war, which is a land of peace. And, Dasharatha means one who rides on a chariot of ten horses. The chariot with ten horses belongs only to religion, spirituality says that religion has ten parts. Manu has said ten characteristics of religion,
Dhriti: Kshama Damostayam Shauchamindrianigraha.
Dhirvidya Satyamkrodho Dashakam Dharmalakshanam. (Manu Smriti 6-96)
Dhriti (patience), Kshama, Dam (control) Asteya (not stealing). Shaucha (purity inside and out), Indriya Nigraha (controlling the senses), Dhi (intellect), Vidya, Satya and Akrodha. These are the characteristics of ten religions. The one who rides on the chariot of these ten horses is Dasharatha. The simple meaning is that if there is no war of emotions in the mind, if the master of the mind is filled with the ten characteristics of religion, then Ram will be born in that mind.
What does it mean to be Ram?
As small as the word Ram is, its interpretation is equally vast. The Puranas say “Ramante Sarvatra Iti Ramah” meaning the one who is present everywhere is Ram. Sanskrit grammar and dictionary says that “Ramante” means Ram, that is, the one who is beautiful, worth seeing is Ram. The word Manogya is also associated with Ram. Manogya means one who knows the mind. Hindi commentators explain the meaning of Ram as one who gives joy and satisfaction.
Glory to the name of Shri Ram…..
Four ages, three times, three worlds. Bhaye naam japi jeeva bisoka.
Bede is not an old saint. Sakal Sukrit Ram Sanehu. (Balkand, Doha – 26/Chaupai-1)
Meaning – In all four eras, in all three times and in all three worlds, by chanting the name the living beings have become free from sorrow. The opinion of Vedas, Puranas and saints is that the result of all virtues is love for Shri Ramji (or the name of Ram).
Tulsidas has praised the glory of the name Ram in Balkand. Many texts have considered the word Ram as a complete mantra. The name Ram has been said to be the shortest and most accurate mantra in the scriptures. It is so simple that the word Ram is also used as a greeting in Indian culture since ancient times. Phonetics science says that pronouncing the word Ram in a long vowel has the same effect on the body as the pronunciation of Om has.
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Son Shriram…….
Raghunatha woke up early in the morning. Mother father guru boat head.
I wish you well. See Charit Harshai Man Raja. (Balkand, Doha 204/Chaupai-4)
Meaning – Shri Raghunath wakes up in the morning and bows his head to his parents and guru. And, after taking their permission, they do the work of the city. Seeing his character, King Dashrath becomes very happy in his heart.
Ram is the most ideal personality in the form of a son. Ram, who renounced his kingdom and accepted exile for a promise from his father, touches the feet of his parents and Guru every morning and takes blessings. Helps father in state work.
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Husband Shriram………
Once picked, the safflower blossomed. Make Bhushan Ram personally.
Lord, dressed in this dress, with respect. Beautiful sitting but stitched. (Aranyakand, Chaupai-2)
Meaning – Once, after picking beautiful flowers, Shri Ram made various types of ornaments with his own hands and sitting on a beautiful crystal rock, the Lord respectfully presented those ornaments to Shri Sitaji.
Maryada Purushottam Ram has immense love for Sita. During her exile, there is an incident where she made flower ornaments for Sita with her own hands and made her wear them with respect. Ram is indicating that the ideal husband is one who gives proper respect to his wife along with love. In marital life, it is the duty of husband and wife to take care of each other’s self-respect and dignity of personality.
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Brother Shri Ram…………..
Bharat Saris Priya Ko Jag Mahi. This is the good fruit and there is no other.
Ramhin brothers think day and night. Like an eggless heart. (Ayodhya incident, Doha-6/Chaupai-4)
Meaning: Who in the world is as dear to me as Bharat? This is the only result of the omen, nothing else. Shri Ramchandraji thinks about his brother day and night, just as a turtle’s heart remains in its eggs.
Lord Rama had great affection towards his brothers. He treated Lakshman like a son, whereas he loved Bharat the most. Gave one brother a place with him and gave a place to the other in his mind. Only Shri Ram knew this formula of balancing love. In Ramcharit Manas, Vibhishan, Hanuman and Sugriva are given the same place, with which they compare them with Bharat. I am dear to you Bharathin Sam Bhai….
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Friend Shri Ram……
If you are not a friend then you will be sad. Tinahi Bilokat Patak is heavy.
Let your sorrow flow like a fallen tree. My friend’s sorrow is like mine. (Kishkindhakand, Doha-6/Chaupai-1)
Meaning – Those who are not saddened by the sorrow of their friends, just looking at them feels like a big sin. Know your mountain-like sorrow as dust and your friend’s dust-like sorrow as Sumeru (a big heavy mountain).
No one was ever greater than Lord Rama in maintaining friendship. Whoever he made his friend, first fulfilled his wish. When he befriended Sugriva, he killed Bali and made him the king, when Vibhishana came to seek his refuge, he declared him the king of Lanka without saying anything. Ram has the quality of friendship which no one else has. They don’t expect to take, they first give from their own side.
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Disciple Shri Ram….
Raghurai went to study at Guru’s house. Got all the short term knowledge.
Jaki Sahaj Shruti Chari. So Hari read this curiosity is heavy. (Balkand, Doha- 206/Chaupai 2-3)
Meaning – Shri Raghunath ji went to the Guru’s house to study the subject matter. Within a short time he acquired all the knowledge. It is a great surprise that the God who has natural breath should read all four Vedas.
As a disciple, first Shri Ram took education from Vashishtha and then from Guru Vishwamitra. Both the Gurus knew his glory and form. But, in order to preserve the worldly values, Shri Ram, the expert of all the knowledge, took education in the ashrams of the Guru just like a common student does. This is a sign that you should follow the tradition in which you live, learn it with all your heart, learn it in less time, implement it in your life in such a way that it acts as a guide for you.
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Raja Shri Ram…..
Ram Raj sits in Trailoka. Everyone became happy, Soka.
Why don’t you worry? Ram Pratap oddity lost. (Uttarakhand, Doha-19/Chaupai-4)
Meaning – All three worlds became happy when Shri Ramchandraji was established on the throne. All his sorrows went away. No one has enmity with anyone. Due to the greatness of Shri Ram Chandraji, everyone’s inequality (internal discrimination) was erased.
The meaning of the word Ram itself is joy and satisfaction. Where Ram becomes the king, there can be no discrimination, enmity and sorrow. Ramrajya is imagined because there is no place for internal distress, poverty, sorrow etc. in Ram’s kingdom itself. If Ram reigns in a person’s mind then his life becomes free from these sufferings.
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God Shri Ram….
Barley has become a male and a traitor. Aavai sabhay saraan taki mohi.
There is pride, attachment, deceit and deceit, Nana. I will immediately become like a saint. (Sunderkand, Doha 47/Chaupai 1-2)
Meaning – If a person, who is a traitor to the entire inanimate and animate world, comes to me out of fear and gives up pride, attachment and all kinds of deceptions, then I would soon make him as sinless as a saint. Am.
Ram has explained the qualities of his supreme nature. When a person comes before Him with a true heart, the sins of his births are erased in a moment. With true heart it means that once you take refuge in yourself, you will never return. In Sunderkand, God has said to Vibhishana, “Sanmukh hoi jeeva mohi jabhi, janma koti agha nasai tabhi.”
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Warrior Shri Ram…………
Bhujdand Sar Kodand ferat Rudhir Kan Tan Ati Bane.
Bipul Sukh Aapne sat on Janu Raimuni’s plate. (Lanka incident, Ravana murder, verses)
Meaning – Shri Ram is shooting bow and arrow with his arms. The particles of blood on the body look very beautiful. As if many red-billed birds were sitting motionless on the tamal tree, engrossed in their great happiness.
Ram is as gentle and beautiful a personality as he is a fierce warrior. Valmiki has written the story of Ram’s war with Khar-Dushan and his army of 14 thousand demons in Panchavati. Ram alone faced the army of 14 thousand demons. Killed everyone. Single-handedly destroyed the entire army.
Ramcharit Manas written by Tulsidas is the most popular Ramkatha. Goswami ji has woven many aspects of Ram’s personality into this story. From the glory of the name Ram, son, husband, father, friend, brother, warrior, God and King Ram. Nine dimensions of Ram’s personality are shown in Ram Katha.
Father Shri Ram….. ,
Two beautiful Sita go. Love and sing the old Vedas.
Dou Bijai Binai Gun Temple. The reflection of green is very beautiful. (Uttarakand, Doha 24/Chaupai 3-4)
Meaning – Shri Sitaji gave birth to two beautiful sons Luv and Kush. Which have been described in the Vedas and Puranas. Both of them are victorious and abodes of humility and virtues. And, they are extremely beautiful, as if they are the reflection of Sri Hari.
Just like Ram was a son, he was also a father. The respect he gave to his father Dasharatha, he got from Luv-Kush. Here the life of Ram indicates that what you behave with comes back to you. Ram was obedient to his father Dashrath, Luv-Kush had the same respect and love for Ram. After Ram’s ascension, Luv-Kush kept the concept of Ayodhya and Ram Rajya alive.
Mother, Father, Guru, God, all four are equal.
Those who serve them will definitely be blessed.
If you want to give then give, support for every birth.
Says emotional Ramsay, hold my hand.
Ram’s name should be with the mouth, auspicious work should be done.
Let us go with you, let us go to Sadhna Dham.
Have darshan of Ram, become Hanuman.
Stay with Shri Ram ji, may you get knowledge.
Then you become a dignity and do the work of the world.
The people of the world are wearing a lovely crown on their heads.
I have to say to you from my heart, Shri Ram.
Crossed the ocean of life again and found the abode of Ram and happiness.
May Ram rest in peace with his mother.
The pleasures of darshan became dear, the head took hold and then the body parted.
Keep your faith pure, chant the Lord’s name again.
Gods of three worlds chanting the eight Yamas.
Hanuman ji says, always bow your head.
By chanting Ram-Ram, you get Jagdish.
There should be bhajans in the morning, Ram should come out of your mouth.
Hanuman ji says, I will give you darshan.
Be kind and compassionate, may life be blessed.
Children are happy, Lal plays in the lap.