अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

आत्मा तु चेत जा

ऐ आत्मा! ये शरीर तेरा घर नहीं है।  ऐ आत्मा! तुझे परम तत्व परमात्मा से साक्षात्कार करना है। ऐ आत्मा,

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ध्यान क्या है ?

ध्यान अ-मन की अवस्था है। ध्यान बिना किसी विचार के शुद्ध चेतना की स्थिति है। साधारणता, तुम्हारी चेतना, कचरे से

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ईश्वर के सम्मुख

जीव जब ईश्वर के सम्मुख हो जाता है उसी क्षण जीव के सारे जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं,ईश्वर,

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निष्काम कर्मयोग

मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म करना और फल की इच्छा न करना हीनिष्काम कर्म-योग यानि भक्ति-योग

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     मृत्यु सत्य है

मृत्यु  यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है।आत्मा के लिए शरीर का बदलाव वस्त्र बदलने के समान है।

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