
सत्य ही सनातन है
वह सत्य का सार है, और सभी सत्य का स्रोत है। “सत्य ही सनातन है सत्य ही ईश्वर है।” सत्य
वह सत्य का सार है, और सभी सत्य का स्रोत है। “सत्य ही सनातन है सत्य ही ईश्वर है।” सत्य
वेद हर सृष्टि के आदि में चार ऋषियों के मन में स्वयं ईश्वर द्वारा प्रगट किये जाते हैं। और वेद
हम भगवान का नाम जप आसन पर बैठकर माला लेकर करते हैं। राम राम राम जपती रहती। जब भी समय
वैदिक जीवन केवल एक संस्कृति नहीं था- वह एक दिव्य विज्ञान था। वहाँ जीवन का प्रत्येक अंग प्रकृति और आत्मा
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। परमात्मा को साथ रखते हुए यदि हम किसी से प्रेम करते हैं
अगर कोई तीसरे,पाँचवे और सातवें आसमान तक पहुँच जाए,तो उसे ब्रह्मांड के सारे रहस्य मिल सकते हैं..!! लेकिन यह एक
बाहर से हारकर भी जिसने स्वयं को जीत लिया वह सम्राट है लेकिन दुनिया जीतकर भी जो स्वयं से हार
मेरा परमात्मा भगवान् कैसा है। मेरा परम पिता परमात्मा मेंरा जगत जगदीश प्रकाश का पूंज है।जिसमें सम्पूर्ण जगत समाया हुआ
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद चाहे पूरी पृथ्वी को दीपकों से सजा दो फिर भी तुम्हारे हृदय में रोशनी
एकनाथ महाराज के पास एक वैष्णव आया। उसने महाराज को पूछा कि आपका मन ईश्वर में,सदासर्वदा श्रीकृष्ण में कैसे स्थिर