भजन श्यामसुंदर का करते रहोगे ।
तो संसार सागर से तरते रहोगे ॥कृपानाथ बेशक मिलेंगे किसी दिन ।तो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे ॥चढोगे हृदय पर
तो संसार सागर से तरते रहोगे ॥कृपानाथ बेशक मिलेंगे किसी दिन ।तो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे ॥चढोगे हृदय पर
प्रेमी बनकर आओ, मुलाकात करेगा।नैन से नैन मिलाओ, बाबा बात करेगा।। प्रेम का रसिया है ये सांवरिया, प्रेमी को पास
करुणा निधान साँवरा, रखता मेरी खबर,हर पल सहारा श्याम का, मैं क्यों कर फिकर,करुणा निधान साँवरा, रखता मेरी खबर ।।
दुख तखलीफ हो कोइ तो श्याम धणी न बोलश्याम धणी पहचान तेरा आसू़ हे अनमोल। दुनिया के चक्कर मे तु
ग्यारस का ये दिन अति पावनश्यामधणी संग भक्तों के है मनभावनबाबा की चौखट पर बरसे कितनी ही अंखियां ज्यूँ आसमां
ग्यारस की पावन बेला में मैं मांगू तुम से श्याम धणी ….सब पर बरसे कृपा तुम्हारी सुन लो बाबा अरज
खाटूश्याम दरश मन इच्छा, श्याम सलौना नेक है।लाख मुशीबत हों पथ में, बस मंजिल मेरी एक है।।भिन्न-भिन्न हो सकती राहें,
थारो म्हारो प्रेम अनूठो, जईयाँ प्रीत पुरानी फिर भी क्यों तड़पावो हो म्हाने, बोलो शीश का दानी उलझी गाँठया ने,
मेरे घर के आगे श्याम तेरा मंदिर बन जाये,जब खिड़की खोलू तो तेरा दर्शन हो जाये,मेरे घर के आगे श्याम
श्याम तुमसे मिलने का सत्संग ही बहाना हैदुनिया वाले क्या जाने मेरा रिश्ता पुराना हैजब से तेरी लगन लगी दिल