
भगवान शिव विराट स्वरूप
भगवान शिव के विराट स्वरूप की महिमा बताते हुए शिव पञ्चाक्षरी स्तोत्र के प्रारंभ में शिव को ‘नागेन्द्रहाराय’कहकर स्तुति की

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मङ्गलमयी शिव स्तुति प्रतिदिन सुबह शिवलिंग पर जल, दूध अथवा पंचामृतस्नान के बाद फूल और श्रीफल अर्पित करें, तत्पश्चात शाम

।। जय जय शिव- राम ।। भगवान शिव दिन-रात भगवान राम के पावन नाम का स्मरण करते रहते हैं और
। शिव ताण्डव स्तोत्र (शिवताण्डवस्तोत्रम्) परम शिवभक्त लंकापति रावण द्वारा गाया भगवान शिव का स्तोत्र है, मान्यता है कि एक
भगवान राम को भगवान शंकर का उपदेश पद्मपुराण में १६ अध्यायों में भगवान् श्रीराम के प्रति भगवान् शंकर ने जो

महादेव की आराधना से असंभव भी सहज ही संभव हो जाता है। इनकी कृपा के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं

बहुत समय पहले की बात है।हिमालय की एक चोटी पर, घने बादलों और रहस्यमय धुंध के बीच एक गुप्त गुफा

क्या हैं शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा और क्या महत्व है -” प्रार्थना और प्रतीक्षा” का?PART-01कौन है

वेदसार शिवस्तव भगवान शिव की स्तुति है। जिसे भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा है। इस स्तुति

सैर करन को चली गोरा जीनारद मुनि ने दी मती, कहे गोरा जी हमें सुना दो, अमर कथा शिव मेरे