अष्टमुखी श्रीपशुपतिनाथमहादेव
शिवतत्त्व शिवोहम श्री शिवाय नमस्तुभ्यं भगवान शिव की अष्ट_मूर्तियों में समाया है पूरा संसार जिस तरह से धागे में कई
शिवतत्त्व शिवोहम श्री शिवाय नमस्तुभ्यं भगवान शिव की अष्ट_मूर्तियों में समाया है पूरा संसार जिस तरह से धागे में कई
श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और हमारी सनातन संस्कृति में श्रावण माह का विशेष महत्व है। यह
ॐ नमः शिवायः एक बार की बात है, देवताओं के राजा इंद्र ने किसानों से किसी कारण से नाराज होकर
ॐ नमः शिवायप्रियवर! सर्वप्रथम महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप सभी को सपरिवार शिवाशीष पूर्वक हार्दिक शुभ कामनाएं।मिशन के शुभारंभ
शिव स्तुति में आये इस भृंगी नाम को आप सब ने जरुर ही सुना होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये
ॐ भोलेनाथ नमःॐ कैलाश पति नमःॐ भूतनाथ नमःॐ नंदराज नमःॐ नंदी की सवारी नमःॐ ज्योतिलिंग नमॐ महाकाल नमःॐ रुद्रनाथ नमःॐ
स्थान – वृंदावन में यमुना किनारे वंशीवट क्षेत्र में है गोपीश्वरमहादेव मंदिर,.यह मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है. यहां भगवान
रुद्र रूप में भगवान शिव के साथ संरेखित करने के लिए रुद्र गायत्री मंत्र का अभ्यास किया जाता है। रुद्र
प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरं।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामङ्गनाशनं।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं
शिव की महिमा निराली है,शिव के सिर गंगा बहती है,शून्य से संपूर्ण और शून्य,मृगछाला ओढे त्रिशूल धरे नंदी वाहक है