
शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा
क्या हैं शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा और क्या महत्व है -” प्रार्थना और प्रतीक्षा” का?PART-01कौन है
क्या हैं शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा और क्या महत्व है -” प्रार्थना और प्रतीक्षा” का?PART-01कौन है
वेदसार शिवस्तव भगवान शिव की स्तुति है। जिसे भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा है। इस स्तुति
सैर करन को चली गोरा जीनारद मुनि ने दी मती, कहे गोरा जी हमें सुना दो, अमर कथा शिव मेरे
हे हिम हेम किरीट शुभ्र शिव,वर निर्झर त्रिपुरारी।कर पन्नग,पन्नग ग्रीवा,सिरवर्द्धमान शशि धारी।। मस्तक मध्य त्रिलोचन शोभित,उर शोभित रघुनायक।वक्ष मुण्ड,कर शूल
शिवतत्त्व शिवोहम श्री शिवाय नमस्तुभ्यं भगवान शिव की अष्ट_मूर्तियों में समाया है पूरा संसार जिस तरह से धागे में कई
श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और हमारी सनातन संस्कृति में श्रावण माह का विशेष महत्व है। यह
ॐ नमः शिवायः एक बार की बात है, देवताओं के राजा इंद्र ने किसानों से किसी कारण से नाराज होकर
ॐ नमः शिवायप्रियवर! सर्वप्रथम महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप सभी को सपरिवार शिवाशीष पूर्वक हार्दिक शुभ कामनाएं।मिशन के शुभारंभ
शिव स्तुति में आये इस भृंगी नाम को आप सब ने जरुर ही सुना होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये
ॐ भोलेनाथ नमःॐ कैलाश पति नमःॐ भूतनाथ नमःॐ नंदराज नमःॐ नंदी की सवारी नमःॐ ज्योतिलिंग नमॐ महाकाल नमःॐ रुद्रनाथ नमःॐ