
प्रेम तत्व-रहस्य
परमात्मा या मुक्ति की प्राप्ति के लिये जितने साधन बतलाये गये हैं, उनको आदर देना ही साध्य को आदर देना
परमात्मा या मुक्ति की प्राप्ति के लिये जितने साधन बतलाये गये हैं, उनको आदर देना ही साध्य को आदर देना
संध्योपासन-संध्योपासन अर्थात संध्या वंदन। मुख्य संधि पांच वक्त की होती है जिसमें से प्रात: और संध्या की संधि का महत्व
भगवद्प्रेम में मधुर भाव की सेवा का अधिकार पाने के लिये दो तरह की साधना करनी पड़ती है। एक को
राम कंहा है राम कंही बाहर नहीं है राम आपकी पुकार मे है राम को कंहा ढूंढ रे बन्दे, प्राणो
।। । भगवान् ने गीतामें कहा है‒ ‘ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः’ (गीता १५ / ७) । ‘इस संसार में जीव
जीव पर पल पल, हर पल प्रभु की कृपा वृष्टि होती रहती है । उस कृपा के दर्शन करने हेतु
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना ,
खाली हाथ आये थे और खाली हाथ जाएंगे, इसलिए इस प्रेमपूर्ण संसार में प्रेम किये जा वन्दे, यही साथ जायेगा।
।। जय जय जय श्री राम ।। रामचंद्र के भजन बिनु जो चह पद निर्बान।ग्यानवंत अपि सो नर पसु बिनु
क्या आपने कभी सोचा है कि लोग जन्म-जन्मांतर तक जप करते रहते हैं, फिर भी ईश्वर उनके समक्ष प्रकट क्यों