
अनेकता में एकता
ईश्वर एक है लेकिन पांचों ऊगली एक समान नहीं हैं किसी को मां दुर्गा मे ईश्वर दिखाई देते हैं तब
ईश्वर एक है लेकिन पांचों ऊगली एक समान नहीं हैं किसी को मां दुर्गा मे ईश्वर दिखाई देते हैं तब
भक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान का बनना होता है। परमात्मा को पुकारते पुकारते समर्पण भाव जागृत हो जाता है।
जब तक “मै” है तब तक इच्छाएं हैं। ये शरीर मेरा मै भगवान का भक्त हू। भगवान् मेरे है। इन
प्रेम पाना नहीं चाहता प्रेम देना जानता है। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भक्त मिट जाना चाहता है। प्रेम
हमारे धर्म में राम जी को कृष्ण जी भगवान है। हम भगवान् पर विश्वास करे तो भगवान् हमारी इच्छा होते
भगवान् देख तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर भेजा। तुमने मुझे एक ही दिल दिया, दिल में या तो संसार
सच्चे भक्त के दिल की एक ही पुकार होती है कि किस प्रकार मेरे स्वामी भगवान् नाथ का मै बन
परम पिता परमात्मा का प्रेम ही ऐसा है कि संसार में छुपाए छुप नहीं सकता है। एक प्रभु प्रेमी अपने
प्रेम पाना नहीं चाहता प्रेम देना जानता है। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भक्त मिट जाना चाहता है। प्रेम
ध्यान की सब से गहरी विधि हैं आप भगवान को खुली आंखों से कर्म करते हुए भजे आप बोल कर