
दारिद्र्यदहनस्तोत्र
महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की प्रसन्नता एवं धन वैभव प्राप्ति के लिए यह अचूक उपाय है।
महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की प्रसन्नता एवं धन वैभव प्राप्ति के लिए यह अचूक उपाय है।
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय।सकलतत्त्वात्मकायसर्वमन्त्रस्वरूपायसर्वयन्त्राधिष्ठितायसर्वतन्त्रस्वरूपायसर्वतत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणेनीलकण्ठाय पार्वतीप्रियायसोमसूर्याग्निलोचनायभस्मोद्धूलितविग्रहायमहामणिमुकुटधारणायमाणिक्यभूषणायसृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावतारायदक्षाध्वरध्वंसकायमहाकालभेदकायमूलाधारैकनिलयायतत्त्वातीताय गङ्गाधरायसर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयायवेदान्तसारायत्रिवर्गसाधनायानेककोटिब्रह्माण्डनायकायानन्त-वासुकितक्षककर्कोटकशङ्खकुलिकपद्ममहा-पद्मेत्यष्टनागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपायचिदाकाशायाकाशादिस्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिनेसकलाय कलङ्करहितायसकललोकैककर्त्रेसकललोकैकसंहर्त्रेसकललोकैकभर्त्रेसकललोकैकसाक्षिणेसकलनिगमेड्यायसकलवेदान्तपारगायसकललोकैकवरप्रदायसकललोकैकशङ्करायशशाङ्कशेखरायशाश्वतनिजावासायनिराभासाय निरामयायनिर्मलाय निर्लोभाय निर्मोहायनिर्मदाय निश्चिन्तायनिरहङ्काराय निराकुलायनिष्कलङ्काय निर्गुणायनिष्कामाय निरूपप्लवायनिरवद्याय निरन्तरायनिष्कारणाय निरातङ्कायनिष्प्रपञ्चाय
हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी एवं मतान्तर से श्रावण माह में पूर्णिमा के दिन भी विविध
पुराण और इतिहास (महाकाव्य इतिहास) पुराण शब्दावली में दंडधारा वैदिक पथिक-✍(शैववाद (शैव दर्शन)शैव धर्म शब्दावली में दंडधारास्रोत :- शोधगंगा: शिव
गायत्री मंत्र वेदों में कई बार आता है और उसकी महिमा तो वेद शास्त्रों, आरण्यक और सूत्र ग्रंथों तथा उपनिषद्
जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता
।। ॐ सूर्याय नमः ।। श्रीसूर्यमन्त्र-ॐ ह्राँ ह्रीं सः इति त्र्यक्षरं मन्त्रः। ॐ अस्य श्रीसूर्यमन्त्रस्य अज ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो
।। विन्ध्येश्वरी स्तोत्र ।। इस स्तोत्र का नौ दिन ११, २१ या ५१ पाठ पूरी श्रद्धा से करने पर अपार
श्रीरामभक्त हनुमानजी के मंत्र, श्लोक और स्तोत्र जपने से हमेशा भक्तो का उद्धार होता आया है, क्योंकि कालों के काल
राम- वन- गमन और भरत से धिक्कार खाई पाश्चाताप की आग में जलती कैकयी ने अपने को भवन के कक्ष