
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि।
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥मैं
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥मैं
शिव तो आदिदेव हैं, उनकी पूजा समझ आती है। कृष्ण ने अनगिनत चमत्कार दिखाए, गीताज्ञान दिया, उनकी आराधना ठीक लगती
राम से बड़ा राम का नाम: राम नाम का इन दो अक्षर में ही पूरी रामायण है और पूरा शास्त्र
हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है.प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था।आपने
जय भगवान राम रामकथा ससि किरन समाना।संत चकोर करहिं जेहि पाना।। ऐसेइ संसय कीन्ह भवानी।महादेव तब कहा बखानी।। भावार्थ:-श्री रामजी
ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि।रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि।। भावार्थ-इस प्रकार ‘राम’ नाम
।। श्रीरामचरितमानस- अयोध्याकाण्ड ।। चौपाई-नयनवंत रघुबरहि बिलोकी।पाइ जनम फल होहिं बिसोकी।। परसि चरन रज अचर सुखारी।भए परम पद के अधिकारी।।
श्रीरामचरितमानस- अयोध्याकाण्ड चौपाई-राम संग सिय रहति सुखारी।पुर परिजन गृह सुरति बिसारी।। छिनु छिनु पिय बिधु बदनु निहारी।प्रमुदित मनहुँ चकोर कुमारी।।
रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम॥जय रघुनन्दन जय घनशाम। पतित पावन सीताराम॥भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे। दूर करो प्रभु दु:ख
काशी में एक जगह पर तुलसीदास रोज रामचरित मानस को गाते थे वो जगह थी अस्सीघाट। उनकी कथा को बहुत