
पुजारीको सिखाया सबक
‘पुजारीको सिखाया सबक गाँवका एकमात्र हनुमान्मन्दिर बड़ा प्रसिद्ध हो गया था। उसी गाँवके नहीं बल्कि आस-पासके अनेक गाँवोंके लोग वहाँ
‘पुजारीको सिखाया सबक गाँवका एकमात्र हनुमान्मन्दिर बड़ा प्रसिद्ध हो गया था। उसी गाँवके नहीं बल्कि आस-पासके अनेक गाँवोंके लोग वहाँ
युधिष्ठिर जुएमें अपना सर्वस्व हार गये थे। छल पूर्वक शकुनिने उनका समस्त वैभव जीत लिया था। अपने भाइयोंको, अपनेको और
कमजोरी बन गयी उसकी ताकत एक पन्द्रह-सोलह सालके लड़केने फैसला किया कि वह जूडो सीखेगा, यह जानते हुए भी कि
सन्त-स्वभाव एक वाटिकाके कोनेमें आमका विशाल छायादार वृक्ष खड़ा था। उसके नीचे ध्यानमग्न एक सन्त बैठे थे। गाँव के कुछ
एक देशमें दो आदमी दुर्भाग्यसे गुलाम बन गये थे। एकका नाम एन्टोनिओ था और दूसरेका नाम रोजर । दोनों एक
लगभग तीन हजार साल पहलेकी बात है। भगवान् गौतम बुद्ध कुरुदेशके कल्माषदम्प निगम (उपनगर) में विहार करते थे। वे निगमके
सफलताका मूल है-ज्ञान, कर्म और भक्तिका सामंजस्य भगवान् श्रीकृष्णसे नारदजीने एक बार कौतूहलवश पूछा कि उनका अनन्य भक्त कौन है?
राँका बाँका पति-पत्नी थे। बड़े भक्त और प्रभुविश्वासी थे। सर्वथा निःस्पृह थे। भगवान्ने उनकी परीक्षा करनेकी ठानी। एक दिन वे
एक संत एक बार अपने एक अनुयायीके समीप बैठे थे। अचानक एक दुष्ट मनुष्य वहाँ आया और वह उस व्यक्तिको
एक दिन बादशाह अकबरके दरबारमें बड़े जोरोंका कोलाहल सुनायी पड़ा। सभी लोग बीरबलके विरुद्ध नारे लगा रहे थे। आवाज आ