
आपद्धर्म
एक समय कुरुदेशमें ओलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुईं। इससे सारे उगते हुए पौधे नष्ट हो गये और भयानक अकाल पड़
एक समय कुरुदेशमें ओलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुईं। इससे सारे उगते हुए पौधे नष्ट हो गये और भयानक अकाल पड़
उत्तरप्रदेशमें तारीघाटका प्रसंग एक प्रभु-निर्भर जीवन स्वामी विवेकानन्द तारीपाटमें चिलचिलाती गर्मी के दिनोंमें रेलगाड़ीसे उतरकर कहीं छायादार स्थान ढूँढ़ रहे
जिस समय सिकन्दर महान्की सेनाएँ दिग्विजय करती हुई सारे विश्वको मैसीदोनियाके राजसिंहासनके आधिपत्यमें लानेका प्रयत्न कर रही थीं, ठीक उसी
एक नरेशकी श्रद्धा हो गयी एक महात्मापर। नरेशने संतकी सेवाका महत्त्व सुना था। वे राजा थे, अतः अपने ढंगसे वे
फ्रेडरिककी सेनामें एक मनुष्य कभी लेफ्टनेंट कर्नलके पदपर रहा था। काम न होनेसे उसे अलग कर दिया गया। वह बार-बार
परोपकारीकी रक्षा स्वयं परमात्मा करते हैं अमेरिका। एक नदीका व्यस्त किनारा। जागृति और हलका आवागमन! प्रातः कालका समय है। नदी
‘मृत्यु क्या कर सकती है ? मैंने मृत्युञ्जय शिवकी शरण ली है।’ श्वेतमुनिने पर्वतकी निर्जन कन्दरामें आत्मविश्वासका प्रकाश फैलाया। चारों
बुद्धिर्यस्य बलं तस्य किसी वनमें चन्द्रसरोवर नामका एक तालाब था। उसके किनारे खरगोशोंका एक समूह रहा करता था। खरगोश किनारेपर
बहुत पहले काशीमें एक प्रजावत्सल, धर्मात्मा राजा रहता था। एक दिन एक देवदूतने राजासे आकर निवेदन किया-‘महाराज! आपके लिये स्वर्गमें
बात शाहजहाँके शासनकालकी है। स्यालकोटके एक छोटे मदरसेमें बालक हकीकतराय पढ़ता था । एक दिन मौलवी साहब कहीं बाहर चले