
धर्मविजय
‘भगवती स्वर्णलेखा और गोदावरी सरिताके मध्यदेश – कलिङ्गकी प्रजाने विद्रोह कर दिया है, महाराज! यदि यह विद्रोह पूर्णरूपसे दबा नहीं

‘भगवती स्वर्णलेखा और गोदावरी सरिताके मध्यदेश – कलिङ्गकी प्रजाने विद्रोह कर दिया है, महाराज! यदि यह विद्रोह पूर्णरूपसे दबा नहीं

मिथिला नरेश महाराज जनक अपने राजभवनमें शयन कर रहे थे। निद्रामें उन्होंने एक अद्भुत स्वप्न देखा मिथिलापर किसी शत्रु नरेशने

एक बार भक्त श्रीरूपगोस्वामीजी ध्यानमें यह झाँकी कर रहे थे कि श्रीराधाजी तथा भगवान् श्रीकृष्ण खड़े हैं और आपसमें एक

महानताके लिये पद जरूरी नहीं रूसी क्रान्तिके जनक लेनिन उन दिनों पेरिसमें रूसी क्रान्तिके लिये प्रयासरत थे। दो दिनोंतक भूखे

मनुष्य जीवनमें संयमकी बड़ी आवश्यकता है। गृहस्थ, तपस्वी और संन्यासी-सब-के-सब इन्द्रिय संयम और सात्त्विक आचार-विचारसे समुन्नति करते हैं। जीवन क्षणभरके

जो तू चाहे सुख सदा एक बार हकीम लुकमानसे उनके बेटेने पूछा ‘अगर मालिकने फरमाया कि कोई चीज माँग, तो

राजपूतोंमें विजयादशमीके दिन आखेट करनेकी प्रथा चली आ रही है। मेवाड़के राणा प्रताप तथा उनके छोटे भाई शक्तसिंह सैनिकोंके साथ

आध्यात्मिक बोधकथाएँ (कथा-अड्डू कथा-अ एक तत्त्वबोधक प्रेरक कथा प्रतिष्ठानपुर नामक एक अत्यन्त विख्यात नगर था। वहाँपर पृथ्वीरूप नामक एक अत्यन्त

इंगलैंड नरेश जेम्स द्वितीयका पौत्र प्रिन्स चार्ल्स युद्धमें जार्ज प्रथमके सेनापतिसे पराजित हो गया था और प्राण बचानेके लिये भाग

एक समय कुरुदेशमें ओलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुईं। इससे सारे उगते हुए पौधे नष्ट हो गये और भयानक अकाल पड़