
निर्णयमें विलम्ब उचित नहीं
निर्णयमें विलम्ब उचित नहीं (ब्रह्मलीन स्वामी श्रीअखण्डानन्द सरस्वतीजी महाराज ) वाराणसी मण्डलके अन्तर्गत पश्चिमवाहिनी गंगाके तटपर एक छोटा-सा ग्राम है,

निर्णयमें विलम्ब उचित नहीं (ब्रह्मलीन स्वामी श्रीअखण्डानन्द सरस्वतीजी महाराज ) वाराणसी मण्डलके अन्तर्गत पश्चिमवाहिनी गंगाके तटपर एक छोटा-सा ग्राम है,

दोब्रीवेकी पढ़ाई समाप्त हो गयी। उसका जन्मदिवस आया जन्म दिनके उपलक्ष्यमें उसके यहाँ बहुत कीमती सौगातका ढेर लग गया। उसके

* ‘जाहि निकारो गेह ते क्यों न भेद कहि देइ’ कुम्भकर्णसहित अनेक राक्षस सेनापतियोंका वध हो जानेपर इन्द्रजित् मेघनादने युद्धभूमिमें

लेनदार कौन ? छात्र जीवनमें स्वामी रामतीर्थको दूध बड़ा प्रिय था। वे एक हलवाईसे खरीदकर प्रतिदिन दूध पिया करते थे।

(3) आलसी मत बनो एक लकड़हारा जंगलमें लकड़ी लाने रोज जाता था और उसे एक अपाहिज लँगड़ी लोमड़ी रोज दिखायी

श्रीगोंदवलेकर महाराजकी पहली पत्नीका देहान्त हो चुका था। दो-चार माहके बाद उनकी माँने उन्हें दूसरी शादी करनेपर मजबूर किया। मातृभक्तिके

(लेखक श्रीब्रह्मानन्दजी ‘बन्धु’) गत महासमरमें वर्मापर जापानका अधिकार हो । चुका था और ब्रिटिश सेना फिरसे उसपर आधिपत्य जमा रही

कोसलका राजा ब्रह्मदत्त प्रायः आखेटमें ही रहता था। जब वह शिकारमें निकलता था, तब उसके पीछे पीछे उसकी बड़ी भारी

‘पुजारीको सिखाया सबक गाँवका एकमात्र हनुमान्मन्दिर बड़ा प्रसिद्ध हो गया था। उसी गाँवके नहीं बल्कि आस-पासके अनेक गाँवोंके लोग वहाँ

युधिष्ठिर जुएमें अपना सर्वस्व हार गये थे। छल पूर्वक शकुनिने उनका समस्त वैभव जीत लिया था। अपने भाइयोंको, अपनेको और