
विवशतामें किये गये एकादशी व्रतका माहात्म्य
विवशतामें किये गये एकादशी व्रतका माहात्म्य पूर्वकालकी बात है, नर्मदाके तटपर गालव नामसे प्रसिद्ध एक सत्यपरायण मुनि रहते थे। वे
विवशतामें किये गये एकादशी व्रतका माहात्म्य पूर्वकालकी बात है, नर्मदाके तटपर गालव नामसे प्रसिद्ध एक सत्यपरायण मुनि रहते थे। वे
कृषकका सम्मान हो अमेरिकाके तृतीय राष्ट्रपति ‘टॉमस जैफरसन’ कृषकों एवं श्रमिकोंका बहुत सम्मान करते थे। स्वयं भी सादगीपूर्ण रीतिसे जीवनयापन
एक राजाके चार पत्त्रियाँ थीं। राजाने हर एकको एक-एक काम सौंप दिया। पहलीको दूध दुहनेका काम बताया, दूसरीको रसोई पकानेका,
मानव-जीवन एक शून्य- बिन्दुके सदृश है। तबतक उसका कुछ भी मूल्य नहीं, जबतक उसके आगे त्याग एवं वैराग्यका कोई अङ्क
सम्यक् सम्बोधि प्राप्त करनेके बाद भगवान् बुद्ध वाराणसी चले आये। मृगदाव ऋषिपत्तनमें पञ्चवर्गीय शिष्योंको सम्बुद्धकर उन्होंने चारिका विचरणके लिये उरुबल
मोहमें दुःख रामनगरके एक शाहजीने एक सफेद चूहा पाल रखा था। उसे वे बड़े प्यारसे खिलाते-पिलाते तथा देख भाल किया
संत एकनाथजीके पिताका श्राद्ध था घरमें श्राद्धकी रसोई बन रही थी। हलवा पकने लगता है तब उसकी सुन्दर सुगन्ध दूरतक
चम्पकपुरीके एकपत्नीव्रती राज्यमें महाराज हंसध्वन राज्य करते थे। पाण्डवोंके अश्वमेध यज्ञका घोड़ा चम्पकपुरीके पास पहुँचा। महावीर अर्जुन अथकी रक्षाके लिये
ब्रह्माजी के मोह तथा गर्वभञ्जनकी भागवत, ब्रह्मवैवर्त शिव, स्कन्द आदि पुराणोंमें बहुत-सी कथाएँ आती हैं। अकेले ब्रह्मवैवर्तपुराणमें एकत्र कृष्णजन्मखण्ड के
कहा जाता है कि किसी नगरका एक नागरिक अतिथियों तथा अभ्यागतोंको अधिक परेशान करनेके लिये विख्यात हो गया था। कहते