
धूलपर धूल डालनेसे क्या लाभ
राँका बाँका पति-पत्नी थे। बड़े भक्त और प्रभुविश्वासी थे। सर्वथा निःस्पृह थे। भगवान्ने उनकी परीक्षा करनेकी ठानी। एक दिन वे
राँका बाँका पति-पत्नी थे। बड़े भक्त और प्रभुविश्वासी थे। सर्वथा निःस्पृह थे। भगवान्ने उनकी परीक्षा करनेकी ठानी। एक दिन वे
एक संत एक बार अपने एक अनुयायीके समीप बैठे थे। अचानक एक दुष्ट मनुष्य वहाँ आया और वह उस व्यक्तिको
एक दिन बादशाह अकबरके दरबारमें बड़े जोरोंका कोलाहल सुनायी पड़ा। सभी लोग बीरबलके विरुद्ध नारे लगा रहे थे। आवाज आ
4 ] क्षणिक सुखकी तृष्णा विनाशका कारण बनती है एक दूकानमें मधुका बर्तन उलटकर गिर गया था। इससे चारों ओर
घटना मिश्र देशकी है। वहाँके एक भगवद्भक्त गृहस्थकी झोपड़ी वनके समीप थी। उसके घरमें उसकी पत्नीके अतिरिक्त तीन प्राणी और
इडिथ कवल एक अंग्रेज परिचारिका थी। वह प्रथम महायुद्धके समय घायलोंकी सेवा-शुश्रूषा करनेके लिये बेलजियम गयी हुई थी। वह शत्रु-मित्र
संयमका सुफल मनुष्यके विकासके लिये जिन गुणोंकी आवश्यकता है, उनमें संयमका बहुत महत्त्व है। संयमसे ही मनुष्यकी समस्त शारीरिक, मानसिक
समयके पंख एक बार एक कलाकारने अपने चित्रोंकी प्रदर्शनी लगायी। उसे देखनेके लिये नगरके सैकड़ों धनी-मानी व्यक्ति भी पहुंचे। एक
पीड़ा एक समान एक दुकानदार था – मनिराम। वह अपनी दुकानमें कुत्तेके बच्चे रखता था। एक दिन जब वह अपनी
गुजरातके धोलनगरके नरेश वीरधवल एक दिन भोजन करके पलंगपर लेटे थे और उनका सेवक राजाके पैर दबा रहा था। राजाने