
आत्मकल्याण
‘आत्मकल्याणके अधिकारी पापी, पुण्यात्मा सब हैं। अपने उद्धारकी बात प्रत्येक प्राणी सोच सकता है।’ अम्बपालीके मनमें आशाका संचार हुआ। ‘यान
‘आत्मकल्याणके अधिकारी पापी, पुण्यात्मा सब हैं। अपने उद्धारकी बात प्रत्येक प्राणी सोच सकता है।’ अम्बपालीके मनमें आशाका संचार हुआ। ‘यान
स्वर्गीय महामहोपाध्याय पं0 श्रीविद्याधरजी गौड़ श्रुति स्मृति प्रतिपादित सनातन वैदिक धर्मके परम अनुयायी थे। कई ऐसे अवसर आये, जिनमें धार्मिक
एक साधक था। उसने घोर तपस्या की और जलके ऊपर चलनेमें समर्थ हो गया। अब वह प्रसन्नतासे खिल उठा और
अधिक तृष्णा नहीं करनी चाहिये किसी वन-प्रदेशमें एक भील रहा करता था। वह बहुत साहसी, वीर और श्रेष्ठ धनुर्धर था।
किसी वनमें खरनखर नामक एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बड़ी भूख लगी। वह शिकारकी खोज में दिनभर इधर-उधर
महाभारतका युद्ध समाप्त हो गया था। धर्मराज युधिष्ठिर एकच्छत्र सम्राट् हो गये थे। श्रीकृष्णचन्द्रकी सम्मति रानी द्रौपदी तथा अपने भाइयोंके
किसीका दिल मत दुखाओ गर्मियोंके दिनोंमें एक शिष्यने अपने गुरुसे सप्ताह भरकी छुट्टी लेकर गाँव जानेका निर्णय किया। तब गाँव
महर्षि याज्ञवल्क्यकी दो स्त्रियाँ थीं। एकका नाम था मैत्रेयी और दूसरीका कात्यायनी । जब महर्षि संन्यास ग्रहण करने लगे, तब
लक्ष्मीका वास किस घरमें होता है ? एक सेठजी रात्रिमें सो रहे थे। स्वप्नमें उन्होंने देखा कि लक्ष्मीजी कह रही
भगवद्विधान अमोघ होता है दैत्यमाता दितिके दोनों पुत्र हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु मारे जा चुके थे। इन्द्रकी प्रेरणा भगवान् विष्णुने वाराह