
प्राणी-सेवासे ब्रह्मानन्दकी प्राप्ति
एक महात्मा बड़ी सुन्दर वेदान्तकी कथा कहा करते। बहुत नर-नारी सुनने जाते। उनमें एक गरीब राजपूत भी था जो आश्रमके

एक महात्मा बड़ी सुन्दर वेदान्तकी कथा कहा करते। बहुत नर-नारी सुनने जाते। उनमें एक गरीब राजपूत भी था जो आश्रमके

विश्वास कीजिये – बिलकुल सत्य बात है – यह एक मकानका नाम है, जो उत्तर प्रदेशके एक विख्यात शहरमें ही

दक्षिणेश्वरमें एक दिन एक अवधूत आये। उनके केश और नख बढ़े हुए थे, शरीर धूलिसे सना था, मैली फटी गुदड़ी

कहा जाता है कि बचपनमें पण्डित बोपदेवजीकी स्मरणशक्ति अत्यन्त क्षीण थी। वे बहुत परिश्रम करते थे, किंतु व्याकरणके सूत्र उन्हें

स्वर्गकी देवसभामें देवराजने किसी नरेशकी दयालुताका वर्णन किया। एक देवताके मनमें राजाकी परीक्षा लेनेकी इच्छा हुई। वे पृथ्वीपर आये और

लगभग चौबीस सौ वर्ष पहलेकी बात है। खुतन देशमें नदीका जल सूख जानेसे घोर अकाल पड़ गया। प्रजा भूखों मरने

हिमालय पर्वतपर एक बड़ी पवित्र गुफा थी, जिसके समीप ही गङ्गाजी बह रही थीं । वहाँका दृश्य बड़ा मनोहर तथा

भोगासक्तिका दुष्परिणाम विरोचनकुमार बलिका एक बलवान् पुत्र था, जिसका नाम था- साहसिक । वह अपनी स्त्रियोंके साथ गन्धमादनपर्वतपर विहार कर

(9) प्रथम राष्ट्रपति घटना सत्रहवीं शताब्दीकी है। उत्तरी वर्जीनियामें कुछ मित्र किनारे बैठे थे कि उन्होंने एक स्त्रीके रोने-चिल्लानेकी आवाज

प्रेतयोनिकी प्राप्तिके कारण पूर्वकालमें विदूरथ नामसे प्रसिद्ध एक हैहयवंशी राजा हो गये हैं, जो बड़े-बड़े यज्ञ करनेवाले, दानपति तथा प्रत्येक