
वैराग्यका क्षण
वाराणसीके सबसे बड़े सेठका पुत्र यश विलासी और विषय था उसके विहारके लिये ग्रीष्म, हेमन्त और वर्षाकालके तीन अमूल्य प्रासाद

वाराणसीके सबसे बड़े सेठका पुत्र यश विलासी और विषय था उसके विहारके लिये ग्रीष्म, हेमन्त और वर्षाकालके तीन अमूल्य प्रासाद

गजनीसे ईरानको एक सड़क जाती है। इस रास्तेपर पहले लुटेरोंका भयंकर अड्डा था और इस मार्गसे कोई भी व्यापारी निरापद

एक महात्मा वृन्दावनके पास वनमें बैठे थे। उनके मनमें आया कि सारी उम्र ऐसे ही बीत गयी, न भगवान् के

महापुरुषोंके प्रति अपराधसे अमंगल ही होता है वृकासुर शकुनिका पुत्र था। उसकी बुद्धि बहुत बिगड़ी हुई थी। एक दिन कहीं

प्राचीनकालमें एक गौतमी नामकी वृद्धा ब्राह्मणी थी। उसके एकमात्र पुत्रको एक दिन सर्पने काट लिया, जिससे वह बालक मर गया।

ऋग्वेद हमें यह शिक्षा देता है कि दूसरोंको श्रद्धापूर्वक देकर अवशिष्ट भागको स्वयं ग्रहण करना चाहिये। ऐसा कभी न करे

एक साधुने एक नरेशका कोषागार देखनेकी इच्छा प्रकट की। श्रद्धालु नरेश साधुको लेकर कोषागारमें पहुँचे। हीरे, मोती, नीलम, पन्ने आदिका

एक दासी नित्यप्रति महारानीकी सेज बिछाया करतीं। एक दिन उसने खूब ही सजाकर सेज बिछायी। गरमीके दिन थे। नदी किनारेके

और अमरा अदृश्य हो गया !..” ‘बचाओ, बचाओ’ वेदनाभरी पुकार सुनते ही दादू मियाँने लकड़ीका बोझा अलग रख दिया। घने

प्यालीमें सागर भरनेकी चाह यूनानी सन्त आगस्टिनस एक सुबह सागरके तटपर अकेले ही घूमने निकल पड़े। तबतक सूर्योदय हो गया