
एकाग्रताका बल
एकाग्रताका बल इंग्लैण्डके इतिहासमें ‘एल्फ्रेड’ का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। एल्फ्रेडने प्रजाकी भलाईक लिये अनेक साहसिक कार्य
एकाग्रताका बल इंग्लैण्डके इतिहासमें ‘एल्फ्रेड’ का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। एल्फ्रेडने प्रजाकी भलाईक लिये अनेक साहसिक कार्य
इसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा ! ‘अबे लड़के, उठ। आकर बैठ गया इंजीनियर साहबकी कुर्सीपर। ‘ – एक लड़केको उठाते हुए
मद्रास प्रान्तमें एक रेलका पायंटमैन था। एक दिन वह पायंट पकड़े खड़ा था। दोनों ओरसे दो गाड़ियाँ पूरी तेजीके साथ
‘समस्त जगत् उनके नृत्यसे मोहित होकर नाच रहा है, देव! यदि आप उन्हें न रोकेंगे तो महान् अनर्थ हो सकता
रास्तेकी तलाश एक राजा राजकाजसे मुक्ति चाहते थे। एक दिन उन्होंने राजसिंहासन अपने उत्तराधिकारीको सौंपा और राजमहल छोड़कर चल पड़े।
इंगलैंडको प्रसिद्ध संस्था ‘रॉयल एकडेमी की चित्र सजानेवाली समितिको बैठक हो रही थी। एकडेमी हालमें सुसज्जित करनेके लिये देश-विदेशके चित्रकारोंने
तीसरी कथा – बछड़ों (गोवत्सों ) – की सीख एक दिनकी बात है, जब भगवान् श्रीराम सीताजीके साथ चित्रशाला में
जैसा क्रोध, वैसा उपचार एक स्त्रीको जरा-जरा-सी बातपर गुस्सा आता था। उसके इस स्वभावसे घर-परिवारके लोग बहुत परेशान रहते थे।
लक्ष्य तो निर्धारित करो! गोविन्द एक छोटी-सी दुकानसे अपना घर-खर्च चलाता था। न उसके पास जमा करनेलायक बचता था, न
गरिमा और घमण्ड पुराणको एक प्रतीक कथा बड़े मार्मिक से घमण्ड और गरिमाके भेदको समझाती है। गरुड़ और शेषनाग इतने