बच्चा छोटा है, पर पूरा है
बच्चा छोटा है, पर पूरा है कहीं एक बड़ी मनोवैज्ञानिक लघुकथा पढ़ी थी, जो प्रत्येक अभिभावक, प्रत्येक शिक्षकको न केवल
बच्चा छोटा है, पर पूरा है कहीं एक बड़ी मनोवैज्ञानिक लघुकथा पढ़ी थी, जो प्रत्येक अभिभावक, प्रत्येक शिक्षकको न केवल
बहूके सद्भावका असर पुत्रकी उम्र पैंतीससे पचास छूने लगी। पिता पुत्रको व्यापारमें स्वतन्त्रता नहीं देता था, तिजोरीकी चाबी भी नहीं।
दक्षिण भारतके प्रतिष्ठित संत स्वामी वादिराजजीके अ अनेकों शिष्य थे; किंतु स्वामीजी अपने अन्त्यज शिष्य कनकदासपर अधिक स्नेह रखते थे।
अध्यात्मबोधक कुछ मूलभूत दृष्टान्त 1 – त्रिलोकीका नाश एक राजा था, वह एक बार शिकार करनेके लिये जंगलमें गया। बहुत
वे एक ग्राममें रहते थे और कुछ दवा-दारू करते। थे। परंतु जिसकी चिकित्सा करते उससे लेते कुछ नहीं थे। एक
अपने बुरे कर्मोंका फल यथासमय भोगना ही पड़ेगा महाभारतपर आधारित एक अनुश्रुति है कि राजा धृतराष्ट्रके सौ पुत्रोंके युद्धमें मर
एक बार एक ग्रीक राजा एक बौद्ध भिक्षुके पास गया। उसने उस भिक्षुसे, जिसका नाम नागसेन था, पूछा- ‘महाराज !
राजा बृहदश्व सौ अश्वमेध यज्ञ करना चाहते थे। लगभग बानवे यज्ञ वे कर चुके थे। उनके गुरु उस समय समाधिस्थ
किसा गौतमीका प्यारा इकलौता पुत्र मर गया। उसको बहुत बड़ा शोक हुआ। वह पगली-सी हो गयी और पुत्रकी लाशको छातीसे
पंढरपुरमें दामाजी सेठ नामक एक दर्जी (छींपी) भगवान् विट्ठलनाथके बड़े ही भक्त थे। उनके सुपुत्र नामाजीको भी बचपनसे वही लत