जो मनुष्य अपना काम-काज करते हुए प्रभु के नाम का सुमिरन करता रहता है , वह सदा समाधि के आनंद में रहता है । जो चलते-फिरते प्रभु के नाम का सुमिरन करता रहता है , उसे पग-पग पर यज्ञ का फल प्राप्त होता है । जो सांसारिक वस्तुओं का भोग करते हुए भी और उनका त्याग करके भी प्रभु के नाम का सुमिरन करता है , उसके शरीर को कर्मों का फल नहीं भोगना पड़ता । जो इस प्रकार सदा प्रभु के नाम के सुमिरन में लगा रहता है , वह जीते-जी मुक्त हो जाता है ।
The person who keeps chanting the name of the Lord while doing his work, he always remains in the bliss of Samadhi. The one who chants the name of the Lord while walking, gets the fruit of the Yagya at every step. One who chants the name of the Lord even while enjoying worldly things and renouncing them, his body does not have to bear the fruits of his actions. One who is thus always engaged in chanting the name of the Lord becomes free while alive.