भक्ती का प्रभाव

चिंतन..

आपके घर में कोई व्यक्ति भक्ति करता है,तो आपके घर में कोई नुकसान नहीं कर सकता..

जब तक विभीषण जी लंका में रहते थे,तब तक रावण ने कितना भी पाप किया, परंतु विभीषण जी के पुण्य के कारण,भक्ति के कारण रावण सुखी रहा..और शासन करता रहा..

परंतु जब विभीषण जी जैसे भगवतवत्सल भक्त को लात मारी और लंका से निकल जाने के लिए रावण ने कहा,तब से रावण का विनाश होना शुरू हो गया..

अंत में रावण की सोने की लंका का दहन हो गया और रावण के पीछे कोई रोने वाला भी नहीं बचा..

ठीक इसी तरह हस्तिनापुर में जबतक विदुर जी जैसे भक्त रहते थे,तब तक कौरवों को सुख ही सुख मिला..

परंतु जैसे ही कौरवों ने विदुर जी का अपमान करके राजसभा से चले जाने के लिए कहा और विदुर जी का अपमान किया,तब भगवान श्रीकृष्ण जी ने विदुर जी से कहा कि – काका ! आप अभी तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान करिए..कौरवों का विनाश होने का समय आ चुका है.. इनका अंत निश्चित है..

और भगवान श्रीकृष्ण जी ने विदुर जी को तीर्थयात्रा के लिए भेज दिया,और जैसे ही विदुर जी ने हस्तिनापुर को छोड़ा , कौरवों का पतन होना चालू हो गया और अंत में राजपाट भी गया और कौरवों के पीछे कोई कौरवों का वंश भी नहीं बचा..

इसी तरह हमारे परिवार में भी जबतक कोई भक्त या पुण्यशाली आत्मा होती है,तब तक हमारे घर में आनंद ही आनंद रहता है..

इसीलिए भगवान के भक्तजनों का अपमान कभी भुल से भी न करें..

हम जो कमाई खाते हैं, वह पता नहीं किसके पुण्य के द्वारा मिल रही है। इसीलिए हमेशा आनंद में रहें,और कोई भक्त आपके परिवार में भक्ति करता हो,तो उसका अपमान ना करें, उसका सम्मान करें और उसके मार्गदर्शन मे चलने की कोशिश करें..

अपनी धन दौलत,पद प्रतिष्ठा,शक्ति पर कदापि अहंकार न करे, क्योंकि उस व्यक्ति की बदौलत आपका संसार रुपक गाडी चल रहा है..वो व्यक्ति ही आपका असली धन है, असली पुंजी है..जो आपको भक्ति की मार्ग पर ले चलेगा..

वो व्यक्ति यदि आपके जीवन से एकबार छुटा,तो आपका सबसे बडा आध्यात्मिक धन छुट गया..भगवान आप से दुर चले गये यही समझो..यही आपकी सबसे बडा क्षति होगी..!!



concerns..

If a person does bhakti in your house, then no one can harm you in your house.

As long as Vibhishan ji lived in Lanka, no matter how many sins Ravana committed, but because of Vibhishan ji’s virtue, because of devotion, Ravana remained happy..and continued to rule..

But when Vibhishan ji kicked Bhagwatvatsal devotee and Ravana asked him to leave Lanka, since then the destruction of Ravana started..

In the end, Ravana’s golden Lanka was burnt and there was no one left to cry behind Ravana..

Similarly, as long as devotees like Vidur ji lived in Hastinapur, the Kauravas got only happiness.

But as soon as the Kauravas insulted Vidur ji and asked him to leave the Raj Sabha and insulted Vidur ji, then Lord Krishna told Vidur ji that – Uncle! You leave for pilgrimage now..the time has come for the destruction of the Kauravas..their end is certain..

And Lord Shrikrishna sent Vidur ji for pilgrimage, and as soon as Vidur ji left Hastinapur, the downfall of Kauravas started and in the end Rajpat also went and there was no Kaurava dynasty left behind..

Similarly, as long as there is a devotee or virtuous soul in our family, there is only joy in our house.

That’s why never insult the devotees of God even by mistake.

We don’t know by whose virtue we are getting the income that we eat. That’s why always be in joy, and if any devotee does bhakti in your family, don’t insult him, respect him and try to follow his guidance..

Never be proud of your wealth, position, prestige, power, because because of that person your world car is moving..that person is your real wealth, real capital..who will take you on the path of devotion. .

If that person is left out of your life once, then your biggest spiritual wealth is left out.. God has gone away from you, understand this.. This will be your biggest loss..!!

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