परम्परा एवं रूढ़ि
परम्पराओंके जन्म और दीर्घजीवी होनेके विषय में सचेत करती हुई एक झेन कथा कहती है कि एक आश्रम में ध्यानके समय एक पालतू बिल्ली अपनी उछल-कूदसे बहुत व्यवधान करती थी। फलतः, गुरुजीकी आज्ञासे उसे ध्यानके समय रस्सी से बाँधकर रखा जाने लगा। गुरुजीके दिवंगत होनेके बाद भी ध्यानके समय बिल्ली यथावत् बाँधी जाती रही। उस बिल्लीकी मृत्यु होनेपर जानकारोंने हर ध्यानसत्रमें एक बँधी बिल्लीकी अनवरत उपस्थितिको प्रमाणित किया। फलतः, एक नयी बिल्ली मँगायी जाने लगी और उसे ध्यानके समय यथावत् बाँधकर रखा जाने लगा। शताब्दियोंके बाद उस आश्रमसे प्रकाशित प्रामाणिक साहित्यमें ध्यानके समय बिल्लीके बँधे रहनेके महत्त्वको प्रतिपादित करती हुई व्याख्याएँ प्राप्त होने लगीं।
tradition and custom
A cautionary tale about the birth and longevity of traditions, a Zen legend says that in an ashram a pet cat caused a lot of disturbance during meditation with its merriment. As a result, by Guruji’s order, he was kept tied with a rope during meditation. Even after Guruji’s death, the cat continued to be tied at the time of meditation. Upon the death of that cat, experts attested to the constant presence of a caged cat in every meditation session. As a result, a new cat was bought and it was kept tied at the time of meditation. Centuries later, in the authentic literature published from that ashram, interpretations were found rendering the importance of keeping the cat tied at the time of meditation.