(21 जुन 2023) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

योग हमें परमात्मा के समस्त गुणों का पात्र बना देता है – हर कोई सुख-शांति से जीना चाहता है | सुख चाहे तन-मन का हो या धन, संपर्क और संसाधन का, हमें सहज ही अपनी ओर खींचता है‌ | ध्यान देने वाली बात कि भौतिक सुख क्षणभंगुर होता है, इंद्रिय भोग तक ही सीमित रहता है | इन्द्रिय सुख की आसक्ति हमें भोगवादी बनाती है | हमें असली और आत्मिक सुख से वंचित करती है | आत्मिक सुख का मूल स्रोत है आत्मबोध और परमात्मा अनुभूति |
संसार में मुख्य रूप से दो प्रकार के व्यक्तित्व हैं – एक, जिनकी मन- बुद्धि हमेशा इन्द्रिय भोग और सांसारिक
सुख साधनों के पीछे भागती रहती है | कर्मेंन्द्रियों के अधीन व्यक्ति हमेशा अशांत, अस्थिर, उग्र, व्यग्र, दुखी, परेशान और तनावग्रस्त रहता है | अधिकांश समय व्यर्थ सोच, भौतिक चिंता और नकारात्मक चिंतन में लगा रहता है | इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती रहती है | दुर्बल मानसिकता के कारण ऐसे लोग शीघ्र ही रोग, शोक, भय, लोभ, मोह, क्रोध, हिंसा, निराशा, अहंकार, अवसाद, एकाकीपन आदि के शिकार हो जाते हैं | इसके विपरीत, दूसरे प्रकार के लोग ज्यादातर शांति, शीतलता, दया, करुणा, स्नेह, सहयोग, सहनशीलता, आशावादिता जैसे सकारात्मक गुण और स्वभाव संस्कारों के होते हैं | ऐसे व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक सोच, विचार, नजरिया, वृत्ति व बोल-व्यवहार
संपन्न होते हैं | वे सात्विक, नम्र, निर्भय, अंतर्मुखी, अनासक्त, तटस्थ, सृजनशील, संवेदनशील, स्थिर बुद्धि व संतुलित रहते हैं | एक योगी की भांति वे कम साधन-संसाधनों से भी अधिक सुख और संतुष्टि का अनुभव करते हैं |‌
असल में, योग से ही सच्चे सुख-शांति की प्राप्ति होती है | योग सिर्फ आसान और प्राणायाम जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं है | योग का मूल अर्थ जोड़ या जुड़ाव है |मनुष्य का बाह्य व्यक्ति, वस्तु और वैभवों से जुड़ाव भी योग है | पर यह योग सांसारिक भोग के लिए है, जो नश्वर है | इंसान की मन-बुद्धि का तार जब अंतरात्मा और परमात्मा से जुड़ जाता है तो उसे रूहानी योग व राजयोग कहते हैं | कारण कि इस रूहानी योग से मनुष्य आत्मा का सर्व संबंध संसार की सर्वोच्च सत्ता, सबके मालिक ईश्वर से जुड़ जाता है | इस राजयोग से इंसान अपने कर्मेंन्द्रिय, दैहिक प्रवृत्ति और बाह्य प्रकृति का राजा बन जाता है | यानी वह सकारात्मकता के चिरंतन स्रोत और पूरी मानवता के रूहानी पिता परमात्मा के समस्त शाश्वत ज्ञान, गुण, शक्ति व सुख- शांति का अधिकारी बन जाता है |
दिव्य ज्योति स्वरूप निराकार परमात्मा के आध्यात्मिक ज्ञान, गुण और वरदानों का नित्य मनन-चिंतन व धारण ही रूहानी योग है | इससे मनुष्य में विश्व बंधुत्व व वसुधैव कुटुंबकम का भाव जागृत होता है | उसमें आत्मिक शक्ति और दैवी गुण विकसित होते हैं | उसके नकारात्मक दुखदायी स्वभाव, संस्कार बदल कर सकारात्मक व सुखदायी बन जाते हैं | मन, वचन और कर्म से इंसान नेक और पवित्र बन जाता है | पवित्रता से उसका जीवन सुखमय हो जाता है | इसलिए कहते हैं, प्रभु को सिमर-सिमर सुख पाओ |
ईश्वर की पावन स्मृति में रहने से हमें अपने सत्य स्वरूप और आंतरिक शक्तियों की पहचान हो जाती है | उस आत्मबोध के आधार पर हम आत्म स्थिति में स्थित होकर स्वस्थ, सशक्त और समर्थ बनते जाते हैं | जीवन के हर कर्म के दौरान हम शांत और शीतल रहते हैं | एक रूहानी योगी और राजयोगी के रूप में हम न केवल स्वयं सुख पाते हैं बल्कि दूसरों के जीवन, प्रवृत्ति और प्रकृति को भी शांत, संतुलित, सुखमय व हरा-भरा बनाने में
रूहानी ज्ञान, गुण, शक्तियों का श्रेष्ठ योगदान दे पाते हैं | 🙏 हरि ॐ तत्सत🙏



योग हमें परमात्मा के समस्त गुणों का पात्र बना देता है – हर कोई सुख-शांति से जीना चाहता है | सुख चाहे तन-मन का हो या धन, संपर्क और संसाधन का, हमें सहज ही अपनी ओर खींचता है‌ | ध्यान देने वाली बात कि भौतिक सुख क्षणभंगुर होता है, इंद्रिय भोग तक ही सीमित रहता है | इन्द्रिय सुख की आसक्ति हमें भोगवादी बनाती है | हमें असली और आत्मिक सुख से वंचित करती है | आत्मिक सुख का मूल स्रोत है आत्मबोध और परमात्मा अनुभूति | संसार में मुख्य रूप से दो प्रकार के व्यक्तित्व हैं – एक, जिनकी मन- बुद्धि हमेशा इन्द्रिय भोग और सांसारिक सुख साधनों के पीछे भागती रहती है | कर्मेंन्द्रियों के अधीन व्यक्ति हमेशा अशांत, अस्थिर, उग्र, व्यग्र, दुखी, परेशान और तनावग्रस्त रहता है | अधिकांश समय व्यर्थ सोच, भौतिक चिंता और नकारात्मक चिंतन में लगा रहता है | इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती रहती है | दुर्बल मानसिकता के कारण ऐसे लोग शीघ्र ही रोग, शोक, भय, लोभ, मोह, क्रोध, हिंसा, निराशा, अहंकार, अवसाद, एकाकीपन आदि के शिकार हो जाते हैं | इसके विपरीत, दूसरे प्रकार के लोग ज्यादातर शांति, शीतलता, दया, करुणा, स्नेह, सहयोग, सहनशीलता, आशावादिता जैसे सकारात्मक गुण और स्वभाव संस्कारों के होते हैं | ऐसे व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक सोच, विचार, नजरिया, वृत्ति व बोल-व्यवहार संपन्न होते हैं | वे सात्विक, नम्र, निर्भय, अंतर्मुखी, अनासक्त, तटस्थ, सृजनशील, संवेदनशील, स्थिर बुद्धि व संतुलित रहते हैं | एक योगी की भांति वे कम साधन-संसाधनों से भी अधिक सुख और संतुष्टि का अनुभव करते हैं |‌ असल में, योग से ही सच्चे सुख-शांति की प्राप्ति होती है | योग सिर्फ आसान और प्राणायाम जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं है | योग का मूल अर्थ जोड़ या जुड़ाव है |मनुष्य का बाह्य व्यक्ति, वस्तु और वैभवों से जुड़ाव भी योग है | पर यह योग सांसारिक भोग के लिए है, जो नश्वर है | इंसान की मन-बुद्धि का तार जब अंतरात्मा और परमात्मा से जुड़ जाता है तो उसे रूहानी योग व राजयोग कहते हैं | कारण कि इस रूहानी योग से मनुष्य आत्मा का सर्व संबंध संसार की सर्वोच्च सत्ता, सबके मालिक ईश्वर से जुड़ जाता है | इस राजयोग से इंसान अपने कर्मेंन्द्रिय, दैहिक प्रवृत्ति और बाह्य प्रकृति का राजा बन जाता है | यानी वह सकारात्मकता के चिरंतन स्रोत और पूरी मानवता के रूहानी पिता परमात्मा के समस्त शाश्वत ज्ञान, गुण, शक्ति व सुख- शांति का अधिकारी बन जाता है | दिव्य ज्योति स्वरूप निराकार परमात्मा के आध्यात्मिक ज्ञान, गुण और वरदानों का नित्य मनन-चिंतन व धारण ही रूहानी योग है | इससे मनुष्य में विश्व बंधुत्व व वसुधैव कुटुंबकम का भाव जागृत होता है | उसमें आत्मिक शक्ति और दैवी गुण विकसित होते हैं | उसके नकारात्मक दुखदायी स्वभाव, संस्कार बदल कर सकारात्मक व सुखदायी बन जाते हैं | मन, वचन और कर्म से इंसान नेक और पवित्र बन जाता है | पवित्रता से उसका जीवन सुखमय हो जाता है | इसलिए कहते हैं, प्रभु को सिमर-सिमर सुख पाओ | ईश्वर की पावन स्मृति में रहने से हमें अपने सत्य स्वरूप और आंतरिक शक्तियों की पहचान हो जाती है | उस आत्मबोध के आधार पर हम आत्म स्थिति में स्थित होकर स्वस्थ, सशक्त और समर्थ बनते जाते हैं | जीवन के हर कर्म के दौरान हम शांत और शीतल रहते हैं | एक रूहानी योगी और राजयोगी के रूप में हम न केवल स्वयं सुख पाते हैं बल्कि दूसरों के जीवन, प्रवृत्ति और प्रकृति को भी शांत, संतुलित, सुखमय व हरा-भरा बनाने में रूहानी ज्ञान, गुण, शक्तियों का श्रेष्ठ योगदान दे पाते हैं | 🙏 हरि ॐ तत्सत🙏

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on pinterest
Share on reddit
Share on vk
Share on tumblr
Share on mix
Share on pocket
Share on telegram
Share on whatsapp
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *