।। श्रीगणेशाय नमः ।।
अनिर्वाच्यं रूपं स्तवननिकरो यत्र गणित-
स्तथा वक्ष्ये स्तोत्रं प्रथमपुरुषस्यात्र महत:।
यतो जातं विश्वं स्थितमपि सदा यत्र विलय:
स कीदृग्गीर्वाण: सुनिगमनुत: श्रीगणपति:।।
(श्रीगणेशमहिम्न:स्तोत्रम् – १)
अर्थ-
श्रीगणेश जी का रूप अनिर्वचनीय है और जिनकी अनेक स्तुतियां की गयी हैं तथापि उन महत्तम परम पुरुष का स्तवन करने को मैं उद्यत हूं।जिनसे संसार की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहारादि कार्य सदा होते रहते हैं, उन वेदवन्दित भगवान् श्रीगणपति की स्तुति वाणी से कैसे सम्भव है?
भगवान श्री गणेश आपके सभी कार्यों को सिद्ध करें।
गणेश चतुर्थी शुभकामनाएं
।। SHRI GANESHAYA NAMAH ।।
The inexpressible form is the praiseworthy where the mathematical- And so I shall recite the hymn of the first person here of the great. Where the universe is born and exists, where it always merges: What a proud and well-informed lord of the goddess of fortune (Sri Ganesha Mahimna:Stotra – 1)
Meaning- The form of Shri Ganesh ji is indescribable and who has been praised in many ways, however, I am ready to praise that greatest supreme man. From whom the world’s origin, condition and destruction works are always done, how can it be possible to praise that Vedvandit Lord Shri Ganapati? Is?
May Lord Shri Ganesh prove all your works.
ganesh chaturthi wishes