धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश
भी चारों युगों में अवतरित हुए हैं..
सतयुग में वे महोत्कट विनायक के रूप में तो त्रेतायुग में मयूरेश्वर और द्वापर युग में शिवपुत्र गजानन के नाम
सतयुग में वे महोत्कट विनायक के रूप में तो त्रेतायुग में मयूरेश्वर और द्वापर युग में शिवपुत्र गजानन के नाम
कथा पढ़ने या सुनने से ही माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है, कभी धन की कमी नहीं रहती..एक गांव में साहूकार
अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि
गणेश जी की कथा को सुनना अत्यंत ही शुभ होता है।एक बार गणेश जी महाराज एक सेठ जी के खेत
हर साल गणपती की स्थापना करते हैं, साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन क्यों ? किसी को मालूम
ॐ महागणाधिपतये नमः *जय गजानन महाराज* *काफ़ी समय पहले की बात है एक गांव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी।*.*वह
श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे
एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने
एक समय की बात है राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता, लेकिन वे
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य