सिमरन करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
दिखावे पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना सिमरन के मुकाम कैसा ?
बिना मेहनत के, दाम कैसा ?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
तो राह में, राही आराम कैसा ?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य आत्मा का परमात्मा से मिलाने का सामने है, बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!
सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर !
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी ओर का ना इंतज़ार कर !!
जो चले थे अकेले उनके पीछे आज सचखंड के मेले है |
जो करते रहे आलस्य उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है, मैं राम नाम धन पाया,मेरे जीवन में सुख आया।
मेरे सतगुरू कृपा कीन्ही, मोहे नाम की सम्पत्ति दीन्ही।।संकट में है आज वो धरती जिस पर तूने जनम लिया… ध्यान मूलं गुरु मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम् ।
मन्त्र मूलं गुरु: वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु कृपा । आपका कल्याण हो। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं, सबजय श्री महाकाल।