गुरु पूर्णिमा आषाढ़ में क्यों? गुरु पूर्णिमा पर क्या करें!
आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यासजी का अवतरण हुआ था. उन्होंने ही वेद-पुराणों से परिचित कराया, ईश्वर और मनुष्य के बीच सेतु बने. इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा गुरू पूर्णिमा हुई. वेद व्यास जी अवतार हैं, आषाढी पूर्णिमा को तो चंद्रमा बादलों में छुपा ही रहता है उसी दिन क्यों! शरद पूर्णिमा जब चंद्रमा सबसे युवा और सबसे ज्यादा आकर्षक होता है, उस दिन गुरू पूर्णिमा क्यों नहीं!
आकाश में घिरे बादल जीव का प्रतीक हैं और चंद्रमा गुरू का. शिष्य जब गुरू के पास आता है तो वह आषाढी बादल की तरह अज्ञान के अंधकार में डूबा रहता है. गुरु अपनी ज्ञान की रोशनी से उसे दूध जैसा धवल बनाता है. दोनों का मिलन ही सार्थकता है. जो गुरुमुख हैं अर्थात जिन्होंने गुरू बनाए हैं उन्हें गुरू पूर्णिमा को गुरु की विधिवत पूजा करनी चाहिए. जिनके गुरू नहीं हैं वे जगदगुरू श्रीकृष्ण या पूरी सृष्टि के गुरू शिवजी में गुरु को देखें.
ज्योतिषशास्त्र गुरु पूर्णिमा को बहुत अहम मानता है. कुंडली में गुरु ग्रह प्रतिकूल हैं तो जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है. ऐसे लोगों के लिए गुरु पूर्णिमा पर कुछ उपाय कहे गए हैं-
स्नान के बाद नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं.
साधु, ब्राह्मण एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान के जल में नागरमोथा नामक वनस्पति डालकर स्नान कर लें.
घर में पीले फूलों के पौधे लगाएं और पीला रंग उपहार में दें.
केले के दो पौधे विष्णु भगवान के मंदिर में लगाएं।
गुरु पूर्णिमा के दिन साबूत मूंग मंदिर में दान करें और 12 वर्ष से छोटी कन्याओं के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लें.
साधु संतों का भूले से भी अपमान न करें.
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।।हर हर महादेव।।
Why Guru Purnima in Ashadh? What to do on Guru Purnima! Ved Vyasji had descended on Ashadh Purnima. It was he who introduced Vedas and Puranas, became a bridge between God and man. That’s why Ashadh Purnima became Guru Purnima. Ved Vyas ji is an incarnation, why the moon remains hidden in the clouds on Ashadhi Purnima, why on the same day! Why not Guru Purnima on Sharad Purnima when the moon is at its youngest and most attractive!
The clouds surrounded in the sky are the symbol of the soul and the moon is the symbol of the Guru. When the disciple comes to the Guru, he remains immersed in the darkness of ignorance like a cloudy cloud. Guru makes him white like milk with the light of his knowledge. The meeting of both is meaningful. Those who are Gurumukh, that is, those who have made a Guru, should worship the Guru duly on Guru Purnima. Those who do not have a Guru, they should see their Guru in Jagadguru Shri Krishna or Guru Shivji of the whole universe.
Astrology considers Guru Purnima very important. If Jupiter is unfavorable in the horoscope then life is full of ups and downs. For such people, some remedies have been said on Guru Purnima-
After bath, apply saffron tilak on the navel and forehead.
Worship sages, Brahmins and Peepal tree.
On the day of Guru Purnima, take a bath by adding a plant called Nagarmotha in the bath water.
Plant plants of yellow flowers in the house and give yellow color as a gift.
Plant two banana plants in the temple of Lord Vishnu.
Donate whole moong in the temple on the day of Guru Purnima and take blessings from girls below 12 years by touching their feet.
Do not insult saints and saints even by mistake. If you like the post then don’t forget to share it- ..Everywhere Shiva..