द्वारिकाधीश

भगवान श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि को अपने विश्वरूप के दर्शन कराना

कृष्णावतार में भगवान श्रीकृष्ण की ऐश्वर्य-लीलाओं के अनेक प्रसंग आते हैं, जिनमें भक्तों को उनकी ‘भगवत्ता’ का ज्ञान हुआ ।

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श्री द्वारिकाधीश भाग -22

‘ये चतुर्भुज हैं। चार वृषभों को श्रृंग पकड़कर रोक ले सकते हैं, किन्तु सात……!’सेवकों, सभासदों के हृदय धड़कने लगे लेकिन

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श्री द्वारिकाधीश भाग- 29

उसके लिये श्रीकृष्णचन्द्र की इच्छा ही सब कुछ। श्रीकृष्ण की बात वेदवाक्य। श्रीकृष्ण का संकेत सुभद्रा का जीवन। वह तो

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श्री द्वारिकाधीश भाग -23

मार्गावरोध करने वालों की संख्या, उनको मिला समय, उनका व्यूह, मार्ग की उनके अनुकूल स्थिति, सब ठीक किन्तु गाण्डीवधारी की

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श्री द्वारिकाधीश भाग – 11

श्रीकृष्णचन्द्र द्वारिका में नहीं हैं। जरासन्ध तथा अनेक दूसरे शत्रु हैं यादवों के। अतः पुरी को छोड़कर श्रीसंकर्षण कहीं जा

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