द्वारिकाधीश

श्री द्वारिकाधीश भाग- 12

जाम्बवान हुंकार करके, गर्जना करके, उछल-उछलकर घूँसे मार रहे थे। श्रीकृष्ण स्थिर खड़े थे। उनका दक्षिण कर केवल आघात कर

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मीरा चरित भाग- 76

अब तक वे किले से उतर कर मालवे की ओर जाने वाले पथ पर घोड़ों को दौड़ा चुके थे।‘ठीक फरमाते

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श्री द्वारिकाधीश भाग – 8

‘ये देव आदित्य नहीं है’ श्रीकृष्णचन्द्र ने हँसकर कहा- ‘ये सूर्यदेव के भक्त सत्राजित हैं। लगता है भगवान भास्कर ने

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श्री द्वारिकाधीश* भाग – 4*

आप सर्वज्ञ हैं और सर्वसमर्थ हैं’- ब्राह्मण ने कहा ‘मैं विदर्भराज-दुहिता का संदेशवाहक बनकर आया हूँ। उनके ही शब्दों में

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