अध्यात्मवाद क्या है
आत्मा की आवाज सुनना और उसका अनुसरण करना ही अध्यात्म है । जीवन में भक्ति एवं दिव्य कर्मों के विषय
आत्मा की आवाज सुनना और उसका अनुसरण करना ही अध्यात्म है । जीवन में भक्ति एवं दिव्य कर्मों के विषय
भगवान् के भजन कीर्तन में अपार सम्पति समाई हुई है। भगवान् का चिन्तन करते रहे एक दिन भगवान अन्तर्मन में
गृहस्थाश्रम भगवत्प्राप्ति का सही मार्ग हैं। गृहस्थ धर्म में मै को त्याग कर अपने परिवार के प्रति त्याग भाव से
परम पिता परमात्मा को हम साथ रखते हैं तभी हमारा भीतरी प्रदुषण खत्म हो सकता है।परमात्मा में सद्गुरु जी मे
आज mobile में भगवान के अनेको रूप दिखाए जा रहे हैं। और हर मन्दिर के रूप की फोटो आने लग
परमात्मा के नाम जप को बढाए। परमात्मा के नाम की इच्छा जागृत होने पर भगवान अपने अन्तर्मन मे भाव और
भगवान की भक्ति मे भाव बहुत बनते हैं। भक्त भाव से भगवान की वन्दना करता है। भाव में अपने अराध्य
जो काम करते हुए भजन करते हैं। वे देखने वाले की दृष्टि में काम कर रहे हैं असल में वे
भक्त चार बजे उठता है उठते ही भगवान का चिन्तन मनन दिल ही दिल में करता है भक्त भगवान का
कागज की सभी पढकर मन ही मन खुश होते हैं कि आज मैंने बहुत अच्छे भाव पढे कर के देखने