
भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते
आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं

आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं

कुछ दिनों पुर्व सभी साधकों से एक प्रश्न किया था !!प्रश्न था आत्मा, जीवात्मा, सूक्षम आत्मा, मुक्तात्मा *किसे कहते हैं

..इस सत्य को स्वीकार करना ही पड़ेगा.. शरीरके साथ सम्बन्ध रखते हुए कोई कितनी ही तपस्या कर ले, समाधि लगा

।। श्रीहरि: ।।भक्त का हृदय एक प्रार्थना है, एक अभीप्सा है- परमात्मा के द्वार पर एक दस्तक है। भक्त के

हम सब पुराने किये हुए पर ही मन बहलाते है हम भी मनुष्य रूप में आये हैं हममे भी चिन्तन

होश होतो दूसरा न तो कल्याणकारी हैऔर न अकल्याणकारी;होश हो तो आप सभी जगह से अपनेकल्याण को खींच लेते हैं।वहीं

भगवान परशुराम जी का सुंदर चित्र जब वह अपनी नन्दिनी को आतताईयों से छूडाकर लाते हैं… सबसे बड़े गौ रक्षक

एक भक्त के दिल की तङफ होती है कब मेरे अन्दर वैराग्य आएगा। भक्त सोचता है पुरण वैराग्य आ जाए

।। ॐ ।। ईश्वर एक है या अनेक ! वह साकार है या निराकार ! इस विषय के क्रम में

महामुनी व्यास को नदी के उस पार जाना था ,और वे नाव के प्रशिक्षा कर रहे थे,कि इतने में वहां