
राष्ट्र रक्षा प्रार्थना
एक भक्त भगवान से अन्तर्मन से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे परमात्मा मेरे सब कुछ आप ही है आप
एक भक्त भगवान से अन्तर्मन से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे परमात्मा मेरे सब कुछ आप ही है आप
अवचेतन मन से कुछ भी पाया जा सकता है।अवचेतन मन- अंतर आत्मा- सूक्ष्म जीव या अन्य कई नामो से जाना
इस सृष्टि के जंहा मे तु ही समायानजर जीधर जाती है तु ही तु नजर आता हैबाहर और भीतर तेरा
सैल्फ कोन्फीडन्स आत्म विश्वासआत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति का जीवन मुस्कराता है। हमारा जीवन धन आत्मविश्वास है। हम आत्मविश्वास से
जीवन की खुशी शांति किस मे हैहम समझते हैं। हमारे पास बहुत अधिक होगा तभी खुशी मिलेगी। आवश्यकता से अधिक
हे परमात्मा राम मेरे सब कुछ तुम ही हो तुम से ही ये जीवन ज्योति है तुम से ही आनंद
हम कितनी ही साधना करे, परमात्मा का चिन्तन मनन नाम जप करे। प्रभु कि कृपा के बैगर हम ठूठ के
सृष्टि के विराट चक्र में युगों की यात्रा अब अपने अंतिमपड़ाव की ओर बढ़ रही है। सतयुग की निर्मलता,त्रेतायुगकी मर्यादा
सृष्टि के विराट चक्र में युगों की यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है। सतयुग की निर्मलता,
मुक्ति वही है जो जीवित रहते हुए मिले इच्छा के रहते प्राण चले जाए तो मृत्यु है और प्राणों की