अनीता गर्ग (Anita Garg)

प्रभु का तेज 

एक भक्त अंतर्मन से भाव में है  अन्तर्मन से भगवान का सतसंग चल रहा है भक्त भाव मे गहरा चला

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भगवान आ रहे

एक भक्त की कर्म प्रधान साधना हैं। भक्त कर्म करते हुए जितना आनंद विभोर होता है  । कर्म करते हुए

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भक्ति हृदय की पुकार

भगवान में दिल का रमना भक्ति है। हमारे अन्दर भगवान राम भगवान कृष्ण से मिलन की तीव्र इच्छा में भगवान

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मैं कोन हूँ

एक साधक आत्म चिन्तन करते हुए अपने आप से पुछता मै किस लिए आया हूं मेरे जीवन का क्या लक्ष्य

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अपना कोई नहीं है

आत्मा का अपना कोई  नहीं होता सम्बन्ध शरीर का है आत्मा का नहीं। यह मत सोचो कि तुम्हारी मृत्यु के

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