विरह रस अध्यात्मिक अवस्था
हम जीवन में सुख प्राप्ति के अनेक साधन करते हैं हमारे प्रत्येक कर्म और साधना भक्ति के पीछे सुख और
हम जीवन में सुख प्राप्ति के अनेक साधन करते हैं हमारे प्रत्येक कर्म और साधना भक्ति के पीछे सुख और
नाम में नामी समाया हुआ है। नाम भगवान जितना हृदय में बैठता है नामी हृदय में दस्तक देता है। भगवान
लक्ष्मण मुरछीत एक ही घटना से क्या हुआब्रह्म अस्त्र का सही उपयोग भगवान राम करते हैं लक्ष्मण को भगवान राम
नया क्या है यह कथन पठन पाठन सब थोथा है मन के बहलाव, कहो तो मन को अटकाने का साधन
हम भगवान राम, कृष्ण, हरि, शिव, को कथाओं में ढुंढते है।भजन गाते हैं। रामचरितमानस, भगवद्गीता, भागवत महापुराण को पढते है। मन्दिर
परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में ही संभव है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़ दिया है यह मनुष्य-शरीर
मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना होता है। जितने भगवान पास में होंगे
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप
आत्मचिंतन करने के लिए समर्पण भाव का जागृत होना आवश्यक है परमात्मा के मै दर्शन कर लू परमात्मा कैसा है
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी