
मृत्यु सत्य है
मृत्यु यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है।आत्मा के लिए शरीर का बदलाव वस्त्र बदलने के समान है।
मृत्यु यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है।आत्मा के लिए शरीर का बदलाव वस्त्र बदलने के समान है।
मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म की हम कितनी बाते करे कर्म को शुद्ध रूप से किये
आज का समय ऐसा है हर कोई अपनी आजादी और अपने सुख चाहता है। हम जीवन को समझते नहीं है।
मै शरीर नहीं हूं शरीर मेरा नही है शरीर से ऊपर उठना ही साधना है जब तक साधक मे मै
राधे राधे यह हमारा शरीर ही क्षेत्र है | इस खेत में कर्मरूप जैसा बीज बोया जायगा वैसा ही
मृत्यु यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है। मृत्यु वैराग्य और अध्यात्मिकता को प्रकट करती है जीवन आनंद
हम मन्दिर में भगवान् से प्रार्थना करने आते हैं। हमारी आन्तरिक प्रार्थना होती है कि हे प्रभु प्राण नाथ स्वामी
परब्रह्म परमात्मा को हम सर्वशक्तिमान सर्व गुण समपन अनादि सत्य स्वरूप माने परमात्मा सृष्टि का रचियता पालन हार और संहारक
हमे अंग संग खङे प्रभु भगवान श्री हरि की खोज करनी है। उस ज्योति में समाना है जो हमारे भीतर
वासुदेव सरवम भागवत गीता में आता है वासुदेव सरवम हम अध्यात्म की बात करते हैं तब भी वासुदेव सर्वम कहा