
आत्मचिंतन में घर
घर घर सभी करे घर ना किसी का होय ।घर को सजाने मे प्राणी के लिए जिन्दगी छोटी पङ जाती

घर घर सभी करे घर ना किसी का होय ।घर को सजाने मे प्राणी के लिए जिन्दगी छोटी पङ जाती

हम समय की कीमत को भुलते जा रहे हैं।आज का व्यक्ती समय की महत्ता को भुल गया है। समय को

हृदय से ढुढने पर ही परमात्मा मिलेगे। सन्त महात्मा हमे मार्ग दिखा देंगे पर लग्न का दिपक हमे अपने आप

राधा माधव ही पटवारी है। मन मन्दिर में राधाकृष्ण बैठे हैं। राधा कृष्ण की ज्योति आत्मा में विराजमान है। भगवान

हे प्रभु हे स्वामी भगवान नाथ मै तुम्हे शिश नवाकर अन्तर्मन से प्रणाम और वन्दन करती हूँ। एक भक्त को

अच्छा व्यक्ति ढुढने के लिए पहले हमें अच्छा बनना पड़ेगा यदि हम अच्छे नहीं है तब कोई व्यक्ति अच्छा नहीं

हम भगवान को दुखो को मिटाने के लिए न ध्या कर भगवान के दर्शन के लिए भगवान से एकाकार होने

भगवान् के भजन कीर्तन में अपार सम्पति समाई हुई है। भगवान् का चिन्तन करते रहे एक दिन भगवान अन्तर्मन में

गृहस्थाश्रम भगवत्प्राप्ति का सही मार्ग हैं। गृहस्थ धर्म में मै को त्याग कर अपने परिवार के प्रति त्याग भाव से

परम पिता परमात्मा को हम साथ रखते हैं तभी हमारा भीतरी प्रदुषण खत्म हो सकता है।परमात्मा में सद्गुरु जी मे