सांस का पंछी

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किराए के घर में अपना कुछ भी नहीं है। ये काया और माया यहीं की यहीं रह जाएगी। अ प्राणी तु सांस का पंछी उङने से पहले इस कोठरी को भक्ति प्रेम श्रद्धा शान्ति और विश्वास से सजा कर इस को परमात्मा का निवास स्थान बना दे। हर क्षण इसमें झांक कर देख भगवान विराजमान हैं। हर क्षण इस कोठरी में नाम ध्वनि बजती रहे।हमे बाहर भी नाम ध्वनि सुनाई दे । जल की बहती धारा में परमात्मा के नाम की ध्वनि उजागर हो रही है। आन्नद की कोई सीमा ही नहीं है।
जो परमात्मा को भजते भजते परमात्मा के नाम की पुकार लगाता है। वहीं सच्चे पथ पर चलता है। जीवन में मृत्यु सत्य है। मै कई बार सोचती हूँ कि देख तेरी ये ऊंगली हील रही है जिस दिन तन से प्राण निकल जाएगे क्या उस दिन ये ऊँगली हिलेगी नहीं हिलेगी। शरीर तो यही पङा होगा परम तत्व परमात्मा की ज्योति चली जाएगी। परम तत्व परमात्मा अन्दर बैठा है तभी तक यह सम्बन्ध है। मै फिर आंख बंद करके अपने आप से पुछती क्या तुझे कुछ दिख रहा है अन्तर्मन से अवाज आती कुछ भी दिखाई नहीं देता हैं। क्या तुझे धन दौलत और काया दिखाई दे रही है। फिर अन्तर्मन से अवाज आती नहीं मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

मै फिर अपने मन से कहती देख जैसे तुझे आंख बंद करते ही कुछ नहीं दिखता है वैसे ही प्राण के छुटते ही ये सब यही का यंही धरा रह जाएगा। काया और माया में न फस प्रभु से प्रीत करेगी तभी तेरा कल्याण होगा। हर क्षण तुझे याद रहे ये सांस आई है क्या पता दुसरी सांस अन्तिम सांस हो प्रभु के घर से बुलावा आऐ उस से पहले सांस सांस से प्रभु को ध्याते हुए सांस को वृथा न गवा।सबकुछ परमात्मा को समर्पित कर दे। मुझमें मेरा कुछ भी नहीं है सबकुछ तु ही तु है। जय श्री राम अनीता गर्ग

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