
भगवान जगन्नाथ साक्षात कृष्ण हैं,
।। भगवान जगन्नाथ ।। भगवान जगन्नाथ साक्षात् श्रीकृष्ण हैं, सबकुछ बदलने के बाद भी ईश्वर जो सतयुग, त्रेता और द्वापर

।। भगवान जगन्नाथ ।। भगवान जगन्नाथ साक्षात् श्रीकृष्ण हैं, सबकुछ बदलने के बाद भी ईश्वर जो सतयुग, त्रेता और द्वापर

ब्रह्मांड का दिव्य स्वरूप भगवान कृष्ण अर्जुन को कहते हैं न तो योग के द्वारा, न ही भौतिक नेत्रों से

बरसाने में आज श्री राधिका जी के मुखमंडल पर कुछ उदासी सी छायी देखकर वृषभानु बाबा अति लाड से पूछ

पूर्वकाल में घटित यह प्रसंग गोलोकधाम का है। श्रीकृष्ण की तीन पत्नियाँ हुईं–श्रीराधा, विरजा और भूदेवी। इन तीनों में श्रीकृष्ण

भगवान के सभी नाम श्रेष्ठ हैं, सभी धाम पवित्र हैं, सभी स्वरूप ध्येय (ध्यान करने के लिए) हैं; फिर भी
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना ,

श्रीकृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर श्रीकृष्ण का भक्त था, वह

धन्य हैं वे गोपियां, रास के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरणारविन्दों को जिनके वक्ष:स्थल पर रखा। ऐसा महाभाग्य अन्य

वसुदेव-देवकी-नन्द-यशोदानन्ददायकम्।वन्दे योगीश्वरं कृष्णं गीतापीयूषदायकम्।।१।। कंस-कारागृहे जन्म यस्य बाल्यं च गोकुले।द्वारकायां कर्मयोगस्तं कृष्णं प्रणमाम्यहम्।।२।। पूतना-धेनुकादीन् यः कंस-प्रेरित-राक्षसान्।जघान लीलया वन्दे तमहं यदु-नन्दनम्।।३।।

।। ।। भगवान् शिव से बड़ा कोई भगवान विष्णु का भक्त नहीं और भगवान् विष्णु से बड़ा कोई शिव का