मीराबाई वृंदावन के मंदिर में
मीरा जब वृंदावन पहुंची तो वृंदावन में जो कृष्ण का सबसे प्रमुख मंदिर था, उसका जो पुजारी था, उसने तीस
मीरा जब वृंदावन पहुंची तो वृंदावन में जो कृष्ण का सबसे प्रमुख मंदिर था, उसका जो पुजारी था, उसने तीस
राधाजी को वृंदावन की “अधीश्वरी”माना जाता है.स्कंद पुराण के अनुसार “राधाजी”भगवान “श्रीकृष्ण” की आत्मा हैं उनकी प्राणशक्ति हैँ.श्रीकृष्ण के बिना
मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्।यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्।। यन्नखेन्दुरुचिर्ब्रह्म ध्येयं ब्रह्मादिभिः सुरैः।गुणत्रयमतीतं तं वन्दे वृन्दावनेश्वरम्।। अविस्मृति कृष्णपदारविन्दयोःक्षिणोत्यभद्राणि शमं तनोति
जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम्।जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम्।।१।। जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम्।जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम
ऊधो मोहि बृज बिसरत नाही कृष्ण ने कहा अव स्थिति इतनीं विगड़ गयी है अव क्या किया जा सकता
जहां भगवान ने मइया यशोदा को मुख में दिखा दिया समस्त ब्रह्मांड भगवान कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने
।। जय भगवान श्रीकृष्ण ।। भगवान श्रीकृष्ण का सभी अवतारों में सर्वोच्च स्थान है। संपूर्ण भारत में उन्हीं के सबसे
जहाँ प्रेम है, वहाँ लेनेकी इच्छा नहीं होती है। वहाँ तो सब कुछ देनेकी इच्छा होती है। भगवान्की भक्ति भगवान्के
साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल
भगवान श्री कृष्ण जी गांधारी से कहते हैं कि माता ! मैं शोक , मोह , पीड़ा सबसे परे हूँ।