कृष्ण तुम ईश्वर हो
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना ,
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले,” पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव … ?उनका ध्यान रखना ,
श्रीकृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर श्रीकृष्ण का भक्त था, वह
धन्य हैं वे गोपियां, रास के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरणारविन्दों को जिनके वक्ष:स्थल पर रखा। ऐसा महाभाग्य अन्य
वसुदेव-देवकी-नन्द-यशोदानन्ददायकम्।वन्दे योगीश्वरं कृष्णं गीतापीयूषदायकम्।।१।। कंस-कारागृहे जन्म यस्य बाल्यं च गोकुले।द्वारकायां कर्मयोगस्तं कृष्णं प्रणमाम्यहम्।।२।। पूतना-धेनुकादीन् यः कंस-प्रेरित-राक्षसान्।जघान लीलया वन्दे तमहं यदु-नन्दनम्।।३।।
।। ।। भगवान् शिव से बड़ा कोई भगवान विष्णु का भक्त नहीं और भगवान् विष्णु से बड़ा कोई शिव का
माता यशोदा वात्सल्य प्रेम की साकार मूर्ति हैं। परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्णचन्द्र की नित्यलीला में वे नित्य माता है।
मीरा जब वृंदावन पहुंची तो वृंदावन में जो कृष्ण का सबसे प्रमुख मंदिर था, उसका जो पुजारी था, उसने तीस
राधाजी को वृंदावन की “अधीश्वरी”माना जाता है.स्कंद पुराण के अनुसार “राधाजी”भगवान “श्रीकृष्ण” की आत्मा हैं उनकी प्राणशक्ति हैँ.श्रीकृष्ण के बिना
मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्।यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्।। यन्नखेन्दुरुचिर्ब्रह्म ध्येयं ब्रह्मादिभिः सुरैः।गुणत्रयमतीतं तं वन्दे वृन्दावनेश्वरम्।। अविस्मृति कृष्णपदारविन्दयोःक्षिणोत्यभद्राणि शमं तनोति
जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम्।जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम्।।१।। जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम्।जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम