बाँवरी गोपी का मनोरथ
वृंदावन की गली में एक छोटा सा मगर साफ़ सुथरा,सजा संवरा घर था। एक गोपी माखन निकाल रही है और
वृंदावन की गली में एक छोटा सा मगर साफ़ सुथरा,सजा संवरा घर था। एक गोपी माखन निकाल रही है और
राधे राधे कृष्ण कन्हैया की वंशी का स्वर केवल गोपियों को ही क्यों सुनाई देता था। ब्रज में गोप-ग्वाल नंदबाबा
अष्टमी तिथि, बुधवार, 6 सितंबर रोहिणी, नक्षत्र, कृष्ण पक्ष, भाद्रपद अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड के स्वामी,शिशु रूप धारण कर माता देवकी
उत्तर प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामों से जानते हैं राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से
गोपियाँ श्री कृष्ण से पूछती हैं कि कान्हा बताओतुम जिस पर कृपा करते हो उसे क्या प्रदान करते हो.तो श्यामसुंदर
जिनके देह नेह परि पूरण तें जगमगात जग माँहीं ।जिन दरसें जिन परसें चिकनें रोम रोम ह्वै जाँहीं ॥नरपसु दाग
निकुञ्ज में बैठी सखियाँ परस्पर श्रीकृष्ण की चर्चा करती हुई हार गूंथ रही थीं। इतने में ही उधर से एक
‘सखियों, कल चलोगी गोरस बेचने ?’– ललिता जीजी ने पूछा।हम सब जल भरने आयी थी। उधरसे बरसाने की सखियाँ भी
संकीर्तन और सत्संग मे जाने से फ़ायदा ही फ़ायदा होता है।कभी नुकसान नही होता।एक अँधा फूलों के बाग में चला
गौ लोक धाम में जब देवताओ ने भगवान श्री कृष्ण से पृथ्वी के उद्धार के करने को कहा तो भगवान