श्रीकृष्ण दौड़े चले आए।
अर्जुन ने अपने-आपको श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था| अर्जुन होता हुआ भी, नहीं था, इसलिए कि उसने जो कुछ
अर्जुन ने अपने-आपको श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था| अर्जुन होता हुआ भी, नहीं था, इसलिए कि उसने जो कुछ
ऊधौ कहा करैं लै पातीजौ लौं मदनगुपाल न देखें, बिरह जरावत छाती ॥ निमिष-निमिष मोहिँ बिसरत नाहीं, सरद सुहाई राती
द्रौपदी महाभारत के सबसे प्रसिद्ध पात्रों में से एक है। इस महाकाव्य के अनुसार द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद
आज का प्रभु संकीर्तन।।कृष्ण एक सत्य है।जब हम कृष्ण के सत्यस्वरूप को समझने लगते है, तब हम संसार मे रहकर
उद्धवजी को समझ नहीं आ रहा था कि व्रज को याद करते ही प्रभुकी आँखे क्यों बह निकलती है।जीव जब
एक बार नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं?तो भगवान बोले –
व्रज गोपियों ने श्री कृष्ण के साथ इतनी गहरी प्रगाढ़ आत्मीयता बाँधी कि कृष्ण प्रेम ही उनका जीवन हो गया।श्री
ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर
🙏 तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या,
नंगे पैर सुदबुध खोए तीनो लोको के स्वामी दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,