कृष्ण (Krishna)

ऊधौ कहा करैं लै पाती

ऊधौ कहा करैं लै पातीजौ लौं मदनगुपाल न देखें, बिरह जरावत छाती ॥ निमिष-निमिष मोहिँ बिसरत नाहीं, सरद सुहाई राती

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कृष्ण मथुरा जाते हुए

व्रज गोपियों ने श्री कृष्ण के साथ इतनी गहरी प्रगाढ़ आत्मीयता बाँधी कि कृष्ण प्रेम ही उनका जीवन हो गया।श्री

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