Bhagwan ke sath baate
कल सुबह मैं होली की खरीदारी करने मार्केट जा रहा था।ठाकुर जी (बाल रुप) मुझसे कहने लगे :- बाबा मैं
कल सुबह मैं होली की खरीदारी करने मार्केट जा रहा था।ठाकुर जी (बाल रुप) मुझसे कहने लगे :- बाबा मैं
एक बार निकुंज में श्याम सुंदर जी ने प्रिया जी के लिए निकुंज सजाया माला बनायीं हाथो से बीड़ा पान
कृष्ण कन्हैया की वंशी का स्वर केवल गोपियों को ही क्यों सुनाई देता था। व्रज में गोप-ग्वाल नंदबाबा यशोदा सभी
ठाकुर जी को गर्मी से राहत दिलाने के लिएमंदिरों में तरह-तरह के फूल बंगले बनाने की अनूठीपरम्परा है और इनके
कोई भक्त,रसिक जब लम्बी गहरी सांस लेकर..आँखों में प्रेमाश्रु भर कर..आह कृष्ण…हे गोविन्द !..मेरे माधव कह कर पुकारता है तो
श्री कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम इतना अधिक बढ़ गया था कि वह उनका वियोग एक क्षण भी नहीं
कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है। क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी
वर्षों तक वन में घूम-घूमबाधा-विघ्नों को चूम-चूमसह धूप-घाम, पानी-पत्थरपांडव आये कुछ और निखरसौभाग्य न सब दिन सोता हैदेखें, आगे क्या
कन्हैया व्रज में एक गोपी के घर जाकर उस गोपी से कहते है- “क्या मैं तनिक सा मक्खन ले लूँ”गोपी
सुबह सुबह उस गोपी के यहाँ नन्दनन्दन पहुँच गए।कई दिनों से इसकी इच्छा थी।इसनें मनोरथ किया था कि मेरे घर