
जय माँ भगवती महादुर्गा
अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से
अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से
अस्य श्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषिः। अनुष्टुप्छंदः। श्री महालक्षीर्देवता। मंत्रोदिता देव्योबीजं। नवार्णो मंत्र शक्तिः। श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदंदा
।। जय माँ जगदम्बिका ।। तव च का किल न स्तुतिरम्बिकेसकलशब्दमयी किल ते तनु:।निखिलमूर्तिषु मे भवदन्वयोमनसिजासु बहि:प्रसरासु च।। इति विचिन्त्य
जिसे तुम जीवन की भांति जानते हो वह अपने भीतर मृत्यु को छिपाए है। जीवन ऊपर की ही पर्त है;
। श्री शैलराज तनये चण्ड मुण्ड निषूदिनी।मृगेन्द्र वाहने तुभ्यं चामुण्डायै सुमङ्गलं।। पञ्च विंशति सालाड्य श्री चक्रपुअ निवासिनी।बिन्दुपीठ स्थितॆ तुभ्यं चामुण्डायै
ॐ शिवगोरक्ष योगी आदेश ।। पगलु वाणी ।।२२-६-२०२३ मां कामाख्या के महापर्व अंबुबाची की आप सभी सनातनियों को हार्दिक
। हिंदू महाकाव्य के अनुसार, मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के घर जन्म लिया। उनके
माता शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि के पर्व को बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। देवी पूजन का
भगवान शिव महादेव, मां काली के चरणों के नीचे भी मुस्कुराते हैं। भगवान शिव क्रोध और उग्रता के प्रतीक हैं
स्वतंत्रता-पूर्व की बात है। वाराणसी के एक साधक थे, सुदर्शन जी। माता दुर्गा के परम भक्त। ब्रह्ममुहूर्त का समय था।