भगवान (Bhagvan)

श्रीराम के बालरूप के दर्शन के लिए शंकरजी की मदारी-वानर लीला

जेहि सरीर रति राम सों सोइ आदरहिं सुजान।रुद्रदेह तजि नेहबस बानर भे हनुमान।। (दोहावली १४२) अर्थात्–सज्जन उसी शरीर का आदर

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