संत कबीर जुलाहा थे ।संत रविदास जी मोची थे ।संत मीरा क्षत्रिय थी।संत चरणदास जी धूसर वैश्य थे।संत सहजोबाई धूसर
संत कबीर जुलाहा थे ।संत रविदास जी मोची थे ।संत मीरा क्षत्रिय थी।संत चरणदास जी धूसर वैश्य थे।संत सहजोबाई धूसर
रामनवमी के नौ राम, परमात्मा से राजा, पुत्र से पिता और पति तक भगवान राम के नौ रुप जो सिखाते
जब भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ,तब उस समय भोले बाबा समाधि में थे।जब वह समाधि से जागृत हुए तब
ए दिल चल रे बरसानाजहां पर रहते है कान्हा बना के दिल का नजरानालुटा दूंहोकर दीवाना सखी मै मयूर बन
एक बार जब रानी सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर , सुदर्शन चक्र को अपनी शक्ति पर और गरुण को अपनी
माखन की चोरी छोड़ सांवरे, मैं समझाऊं तोय।बरसाने तेरी भई सगाई, नित नई चरचा होयबड़े घरन की राजदुलारी, नाम धरेगी
।। श्री कृष्णाय वयं नमः ।। अर्जुन को भगवान श्री हरि कृष्ण अपने विराट विश्वरूप का दर्शन कराते हुए कहते
नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ।।नवल जमुनातट नवल विमलजल
🚩जय श्री सीताराम जी की🚩आप सभी सीताराम जी के भक्तों को प्रणाम श्री रामचरितमानस लंका काण्डनल-नील द्वारा पुल बाँधना,श्रीरामजी द्वारा
सांसो मे खुशबू भर कर, प्रभु तुम चले गएतेरी करामात को समझ नहीं पाती हूँ। हर शब्द में हर विचार