
भक्त अन्तर्मन से परमात्मा को देखता
मेरा परमात्मा भगवान् कैसा है। मेरा परम पिता परमात्मा मेंरा जगत जगदीश प्रकाश का पूंज है।जिसमें सम्पूर्ण जगत समाया हुआ
मेरा परमात्मा भगवान् कैसा है। मेरा परम पिता परमात्मा मेंरा जगत जगदीश प्रकाश का पूंज है।जिसमें सम्पूर्ण जगत समाया हुआ
जब हम ‘राधाकृष्ण’ शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में प्रेम, भक्ति और परीकथाओं का सौंदर्य बह जाता है। परन्तु
बोध_कथा सत्य के तीन पहलु भगवान बुद्ध के पास एक व्यक्ति पहुँचा। बिहार के श्रावस्ती नगर में उन दिनों उनका
संत कबीर जुलाहा थे ।संत रविदास जी मोची थे ।संत मीरा क्षत्रिय थी।संत चरणदास जी धूसर वैश्य थे।संत सहजोबाई धूसर
रामनवमी के नौ राम, परमात्मा से राजा, पुत्र से पिता और पति तक भगवान राम के नौ रुप जो सिखाते
जब भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ,तब उस समय भोले बाबा समाधि में थे।जब वह समाधि से जागृत हुए तब
ए दिल चल रे बरसानाजहां पर रहते है कान्हा बना के दिल का नजरानालुटा दूंहोकर दीवाना सखी मै मयूर बन
एक बार जब रानी सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर , सुदर्शन चक्र को अपनी शक्ति पर और गरुण को अपनी
माखन की चोरी छोड़ सांवरे, मैं समझाऊं तोय।बरसाने तेरी भई सगाई, नित नई चरचा होयबड़े घरन की राजदुलारी, नाम धरेगी
।। श्री कृष्णाय वयं नमः ।। अर्जुन को भगवान श्री हरि कृष्ण अपने विराट विश्वरूप का दर्शन कराते हुए कहते