सभी रूप में एक ही है
भक्तों के मन में एक जिज्ञासा रहती है कि हमारे रामजी बारह कला संपन्न हैं और श्रीकृष्ण सोलह (पूर्ण) कलाओं
भक्तों के मन में एक जिज्ञासा रहती है कि हमारे रामजी बारह कला संपन्न हैं और श्रीकृष्ण सोलह (पूर्ण) कलाओं
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को बहुत बहुत हार्दिक बधाई ।। जय श्री कृष्ण ।। १. कृष्ण वो हैं
।। श्रीहरि: ।। यच्च किञ्चित् जगत् सर्वं दृश्यते श्रूयतेऽपि वा।अंतर्बाहिश्च तत्सर्वं व्याप्य नारायणः स्थितः।।(नारायण सूक्त) यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड जो कुछ
जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम्।जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम्।।१।। जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम्।जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम
भगवान से कभी संसार मत मांगना क्योकि संसार मिलना कृपा नही है– बल्कि भगवान तो खुद भागवत मे कहते है
प्रेमरस से युक्त किशोरी जी! हे किशोर अवस्था वाली राधिके! हे प्रेमरस में सराबोर वृषभानुदुलारी! मेरे ऊपर भी कृपा की
भाव सहित खोजइ जो प्रानी।पाव भगति मनि सब सुख खानी।। मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा।राम ते अधिक राम कर दासा।।
“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही
साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल
सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है