भगवान के दर्शन मांगता हूं
भगवान से कभी संसार मत मांगना क्योकि संसार मिलना कृपा नही है– बल्कि भगवान तो खुद भागवत मे कहते है
भगवान से कभी संसार मत मांगना क्योकि संसार मिलना कृपा नही है– बल्कि भगवान तो खुद भागवत मे कहते है
प्रेमरस से युक्त किशोरी जी! हे किशोर अवस्था वाली राधिके! हे प्रेमरस में सराबोर वृषभानुदुलारी! मेरे ऊपर भी कृपा की
भाव सहित खोजइ जो प्रानी।पाव भगति मनि सब सुख खानी।। मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा।राम ते अधिक राम कर दासा।।
“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही
साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल
सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है
ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी।
कान्हा नामका एक भंगी था | वह नाली साफ करनेका काम किया करता था | वह भगवान् श्रीकृष्णसे बहुत प्रेम
भगवान हनुमान की तस्वीरों से जुड़ी बातें जिनके बारे में यकीनन हर कोई नहीं जानता है लेकिन अब आप अपनी
प्रेम से वंचित व्यक्ति अस्तित्व के केंद्र से पृथक होकर अकेला जीता है। प्रेम के बिना हर कोई अकेला इकाई