भगवान श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि को अपने विश्वरूप के दर्शन कराना
कृष्णावतार में भगवान श्रीकृष्ण की ऐश्वर्य-लीलाओं के अनेक प्रसंग आते हैं, जिनमें भक्तों को उनकी ‘भगवत्ता’ का ज्ञान हुआ ।
कृष्णावतार में भगवान श्रीकृष्ण की ऐश्वर्य-लीलाओं के अनेक प्रसंग आते हैं, जिनमें भक्तों को उनकी ‘भगवत्ता’ का ज्ञान हुआ ।
।। जय श्रीकृष्ण ।। अवतार का अर्थ होता है, उतरना, अवतरण; ऊपर से आता है कोई, जगह खाली करो, कोई
आज का प्रभु संकीर्तन।भगवान कहते हैं मेरे भक्त मुझ से तुरन्त फल चाहते हैं,वो चाहते है कि मेने भगवान को
प्रभु राम क्या गाऊं कैसे तुम्हें रिझाऊं, प्रभु राम तुम धकङकन में समाये हो दिल के हर कोने से, पुकार
. “ एक समय नारद जी यह जानकर की, भगवान् श्री कृष्ण ब्रज में प्रकट हुए हैं वीणा बजाते हुए
एक बार की बात है एक संत जग्गनाथ पूरी से मथुरा की ओर आ रहे थे उनके पास बड़े सुंदर
“एक राम घर-घर बोले, एक राम घट-घट बोले” “एक राम सकल पसारा, एक राम सबसे न्यारा”एक भक्ति श्लोक है जो
क्या गाऊँ प्रभु मेरे तुम धकङकन में समाए दिल के हर कोने में पुकार तुम्हारी आती है फिर भी दिल
आज का प्रभु संकीर्तन।।भगवान को पाने का सर्वोत्तम,सहज और अत्यंत सुलभ मार्ग भक्ति मार्ग है।इस धरा धाम पर आने के
प्रभु श्रीराम के जीवन का यदि सहस्रान्श भी हमने जीवन में उतार लिया तो इस छोटे से जीवन की नैय्या