मोहिनी एकादशी कथा
वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। ऐसा विश्वास जाता है कि यह तिथि सब पापों
वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। ऐसा विश्वास जाता है कि यह तिथि सब पापों
वनवास के दौरान माता सीताजी को पानी की प्यास लगी, तभी श्री रामजी ने चारों ओर देखा तो
एक बार वृन्दावन में हमारे मन में अकस्मात इच्छा हुई की हम गंगा स्नान करने जायें। सोमवती अमावस्या
शहर में मंदिर बनने का काम जोर शोर से चल रहा था.. लाखों की तादाद में लोग मंदिर समिति को
कृष्णनगर के पास एक गांव में एक ब्राह्मण रहते थे ।वे ब्राह्मण पुरोहिती का काम करते थे । एक दिन
श्री अयोध्या जी में ‘कनक भवन’ एवं ‘हनुमानगढ़ी’ के बीच में एक आश्रम है जिसे ‘बड़ी जगह’ अथवा ‘दशरथ महल’
एक मन्दिर था। उसमें सभी लोग पगार पर थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी, घण्टा बजाने वाला भी पगार
एक बार सन्त दादू जंगल में विश्राम कर रहे थे। उनके दर्शन के लिए लोग वहाँ भी आने लगे।
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का
एक बार एक सखी का नया-नया विवाह वृंदावन में हुआ, उसने कभी श्याम सुन्दर को देखा नहीं था। उसकी सास