
श्री आदित्य हृदय स्तोत्र
आदित्य हृदय स्तोत्र का वर्णन अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए किया गया

आदित्य हृदय स्तोत्र का वर्णन अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए किया गया

नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट

बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में एक सेठ रहते थे। उनके पास अपार संपत्ति थी, लंबी-चौड़ी हवेली

(कालावधि 1504-1602,)स्वामी हरिदास जी महाराज की भजन रीति को पानी के द्वारा ‘श्री बिहारिन देव जू’ ने रसिकों के लिए

कहा जाता है कि हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति

बनारस की वो गलियाँ जहाँ हर मोड़ पे आपको एक छोटा-मोटा मंदिर मिल जाएगा। शायद यही बनारस की खूबसूरती का

जय जनक नंदिनी जगत वंदिनी जग आनंद श्री जानकी रघुवीर नयन चकोर चन्दिनी श्री वल्लभा प्रिय प्राण की तब कंज

आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती, किस को जा कर विनय सुनाऊं। आरती जगजननी मैं तेरी

राजा सुरथ की कथा बात त्रेतायुग की है। कुंडलपुर के राजा सुरथ बहुत परोपकारी और धार्मिक प्रवृति के थे। यथा

एक ब्राह्मण-परिवार हस्तिनापुर के पास रहता था। उस परिवार में ब्राह्मण, उनकी स्त्री, पुत्र और पुत्रवधू—ये चार व्यक्ति थे। किसान